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पटना : विधान परिषद की सीटों पर साझा उम्मीदवार खड़ा करने के मुद्दे पर जदयू और राजद के बीच दरार पड़ती दिख रही है। स्थानीय निकाय कोटे की 24 सीटें जून में खाली हो रही हैं। उधर साझा उम्मीदवार खड़े करने पर राजद से सहमति नहीं बनता देख जदयू ने कांग्रेस और वाम दलों से बातचीत शुरू कर दी है। दिल्ली में सपा नेता रामगोपाल यादव के बयान से भी इस संभावना को बल मिला है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ इस मुद्दे पर रविवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी की बातचीत भी हुई। स्थानीय निकाय कोटे की 24 सीटों में फिलहाल जदयू के 11 और जदयू समर्थित 4 निर्दलीय का कब्जा है। जबकि भाजपा के पांच, भाजपा समर्थित एक और राजद के तीन एमएलसी हैं। दोनों दल इन पर साझा उम्मीदवार उतारने पर तो सहमत हो गए हैं। मगर किसके कितने उम्मीदवार मैदान में होंगे, यह तय नहीं हो सका था कि नया पेच आरा, औरंगाबाद और सहरसा की तीन सीटों को लेकर फंस गया। जदयू के कब्जे वाली इन तीनों सीटों पर राजद ने भी दावेदारी ठोक दी है। जदयू इन सीटों पर अपना कब्जा नहीं छोड़ना चाहता।
जदयू प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा कि दलीय लोकतंत्र में पंचायती राज की जो उपलब्धियां हासिल की गई हैं, उसके आधार पर दल के सीटिंग विधान पार्षद का चुनाव लड़ने का मजबूत आधार बनता है। उधर कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी चार सीटों पर दावेदारी ठोक रही है। पार्टी नेताओं की मानें तो तीन सीटें देने पर जदयू सहमत हो गया है। उधर, राजद सूत्रों के अनुसार विधान परिषद के चुनाव को लेकर दस-दस सीटों पर जदयू व राजद अपने उम्मीदवार तय करेगा। चार सीटें कटिहार, पूर्णिया, सहरसा व बेतिया को विचाराधीन रखा गया है।