बिहार : सेनारी नरसंहार के 10 दोषियों को फांसी, तीन को उम्रकैद
पटना [जेएनएन]। बिहार के उस गांव में अगली सुबह भी स्याह अंधेरा भरी थी। 18 मार्च 1999 की उस रात प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी (एमसीसी) के हथियारबंद दस्ते ने गांव को घेरकर जाति विशेष के 34 लोगों को एक जगह इकट्ठा किया और एक-एक कर उनका लगा रेत दिया। आज इस नरसंहार के 10 दोषियों को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई, जबकि तीन को उम्रकैद की सजा दी।
सेनारी नरसंहार के मामले में जहानाबाद के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश रंजीत कुमार सिंह की कोर्ट ने बीते 27 अक्टूबर को सुनवाई करते हुए 15 आरोपियों को तथा बाद में फिर एक अन्य को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने 23 आरोपियों को रिहा कर दिया था। आज उनकी सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई।
कोर्ट ने 13 दोषियों को सजा सुना दी, जबकि शेष दो फरार दोषियों को फरार रहने के कारण उन्हें सजा नहीं दी जा सकी। एक अन्य दोषी को कोर्ट 18 नवंबर को सजा सुनाएगी।
विदित हो कि 18 मार्च 1999 की रात सेनारी में 34 लोगों के हाथ-पांव बांधकर उनके गला रेत दिए गए थे। इस खौफनाक हादसे के एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया था कि हमलावरों ने उसे मरा समझकर गड्ढे में फेंक दिया था। वे एक-एक कर लोगों की गर्दन रेत कर गड्ढे में लाशों को फेंकते जा रहे थे।