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बीएसपी को बड़ा झटका, समाजवादी पार्टी से टिकट मिलते ही नेता ने छोड़ी पार्टी

बलिया: समाजवादी पार्टी ने शनिवार को बहुजन समाज पार्टी के नेता व पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी के बेटे आनन्द चौधरी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इसके बाद बसपा विधान मंडल दल के उपनेता उमाशंकर सिंह ने पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी पर विश्वासघात करने का आरोप लगाया हैं। उधर पूर्व मंत्री एवं बसपा नेता अम्बिका चौधरी ने बेटे आनन्द ने सपा द्वारा जिला पंचायत अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बानाए जाने के बाद पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है।

‘बसपा सुप्रीमो मायावती को भेज दी जानकारी’

पूर्व मंत्री ने शनिवार को बलिया में जारी बयान में कहा, ‘मेरे बेटे आनन्द चौधरी को सपा द्वारा जिला पंचायत अध्यक्ष पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है। ऐसे में उनकी निष्ठा पर कोई प्रश्न चिन्ह प्रस्तुत हो, इसके पूर्व ही उन्होंने बसपा की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है।’ उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती को प्रेषित कर दिया है। सपा के जिलाध्यक्ष राज मंगल यादव ने बताया कि दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की स्वीकृति व प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम के निर्देश पर जिला पंचायत वार्ड नम्बर 45 के सदस्य आनन्द चौधरी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद का सपा का उम्मीदवार घोषित किया गया है।

‘बसपा ने भी आनंद चौधरी को बनाया था उम्मीदवार’
बता दें कि अम्बिका चौधरी मुलायम सिंह यादव व अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं। सपा में उठापटक के बाद वह बसपा में शामिल हो गए थे। उधर बसपा विधानमंडल दल के उपनेता उमाशंकर सिंह ने पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी पर विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि अम्बिका ने अपने आचरण के अनुरूप कदम उठाया है। उन्होंने कहा है कि अम्बिका चौधरी को सपा ने निकाल दिया तो बसपा ने उन्हें सम्मान दिया तथा फेफना क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया। उन्होंने कहा कि अम्बिका के बेटे आनंद बसपा के उम्मीदवार के रूप में ही जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव जीते तथा बसपा ने उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष पद हेतु अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया था।

‘बसपा में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा था’
दूसरी ओर चौधरी ने कहा है कि वह विधानसभा के विगत चुनाव 2017 के पहले बसपा में शामिल हुए थे और इसके बाद से वह बसपा के एक निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में अपनी सेवा दे रहे थे। उन्होंने बताया कि उन्हें जो भी उत्तरदायित्व सौंपा गया, उसका उन्होंने निष्ठा पूर्वक पालन किया। लोकसभा के 2019 में हुए चुनाव के बाद से वह बसपा में स्वयं को उपेक्षित व अनुपयोगी महसूस कर रहे थे। अम्बिका चौधरी जिले की कोपाचीट सीट से पहली बार वर्ष 1993 में सपा के टिकट पर निर्वाचित हुए तथा वर्ष 2012 तक वह लगातार विधायक रहे। चौधरी 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के उपेंद्र तिवारी से हार गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में वह बसपा उम्मीदवार के रूप में फेफना सीट से चुनाव लड़े लेकिन हार गए।

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