बीच-बचाव में उतरे आजम,पुत्र को ले गए पिता के घर क्या हो पाएगी सुलह?
लखनऊ। समाजवादी पार्टी में चल रहे सियासी घमासान में हर पर नया मोड आ रहा है। शनिवार को अखिलेश यादव अपने समर्थक विधायकों और उम्मीदवारों के साथ बैठक कर रहे थे, तभी आजम खान की एंट्री हुई। खबर है कि आजम, अखिलेश को अपने साथ लेकर मुलायम सिंह के घर गए हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या सुलह हो पाएगी?
इससे पहले शनिवार सुबह से सपा में शक्ति प्रदर्शन का दौर जारी है। अखिलेश की बैठक में 220 विधायक मौजूद रहे। बैठक में अखिलेश भावुक होकर रो पड़े। बोले, मैं नेताजी से दूर नहीं, जीत का तोहफा दूंगा।
वहीं मुलायम ने भी अपने निवास पर बैठक बुलाई थी, जो अब तक शुरू नहीं हो पाई है। इस बैठक के लिए 15 विधायक और कुछ उम्मीदवार पहुंचे थे।
वैसे कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव-2017 में मुलायम सिंह यादव ही फिर समाजवादी पार्टी का चेहरा होंगे और दोबारा अपनी ताकत दिखाएंगे। मगर, इससे पहले आज मुलायम सिंह की बैठक और एक जनवरी को अखिलेश के प्रतिनिधि सम्मेलन की जनशक्ति से ही साफ हो जाएगा कि सपा समर्थकों का वाहक कौन होगा?
…जब कठोर हुए मुलायम
राजनीतिक विश्लेषकों तक को उम्मीद नहीं थी कि कभी अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने के लिए स्वयं कुर्सी से दूर रहने का फैसला लेने वाले मुलायम इतने कठोर होंगे कि बेटे को सपा से निकालने का निर्णय करेंगे। परिवार के संग्राम में संधि और रामगोपाल की सपा में वापसी के बाद लग रहा था कि मुलायम स्थितियों को संभाल लेंगे।
मगर, हुआ उलटा। मुलायम के करीबी सूत्र कहते हैं कि अब वह इस चुनाव में भी खुद पार्टी का चेहरा बनने का फैसला कर सकते हैं। इसके पीछे का तर्क यह है कि मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित होने के बाद न सिर्फ पुराने समाजवादी सक्रिय होंगे, बल्कि तमाम ऐसे लोग भी मुलायम-शिवपाल खेमे में बने रहेंगे, जो शिवपाल या किसी अन्य को मुख्यमंत्री बनाए जाने की स्थिति में अखिलेश के साथ जा सकते थे।
दो दिनों में फैसला
समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए नया साल तमाम नए संदेश लेकर सामने आएगा। 2016 के आखिरी दिन यानी, शनिवार को मुलायम सिंह यादव ने सभी प्रत्याशियों की बैठक बुलाई है। इसमें देखा जाएगा कि घोषित प्रत्याशियों में से कितने मुलायम सिंह के साथ हैं।
इसके बाद एक जनवरी को अखिलेश समर्थकों ने राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाया है। दोनों दिनों में समर्थकों की भीड़ से तय होगा कि कितने लोग अखिलेश के और कितने लोग मुलायम के साथ हैं। यहीं से नए साल में अलग-अलग राहों पर चलकर दोनों खेमे विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटेंगे।
लड़ाई अब पिता-पुत्र में
अखिलेश बनाम शिवपाल से शुरू हुई यह लड़ाई अब बाप-बेटे के बीच संघर्ष में बदल गई है। यही कारण है कि शिवपाल समर्थक भी मुलायम को ही मुख्यमंत्री बनाने की बात कहकर चुनाव मैदान में जाने को तैयार हैं। जनता के बीच अखिलेश की सकारात्मक छवि व अन्य दलों के साथ जोड़-तोड़ की संभावनाओं के चलते अखिलेश विरोधी खेमे को भी लगता है कि मुलायम ही उनके खेमे के सर्वश्रेष्ठ दावेदार हो सकते हैं।
ऐसे में चुनाव मैदान में अखिलेश बनाम मुलायम होने से पूरी लड़ाई बाप-बेटे के बीच सिमट जाएगी। दूसरे, मुलायम के साथ मुस्लिम भी एकजुट होकर सपा से जुड़ सकते हैं, यह तर्क भी रखा जा रहा है।