बीच रास्ते में फंसे अमित शाह के पास नहीं थी कोई सुरक्षा, योगी आदित्य नाथ की मिनटों में मदद
साल 2015 से ही ऐसा लग रहा था कि देश का सबसे बड़ा सवाल ये है कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा? लेकिन 11 मार्च को यूपी विधान सभा चुनावों के नतीजे आने के बाद “यूपी का सीएम कौन होगा?” सबसे बड़े सवाल की दौड़ में आगे निकलता दिखा लेकिन उसकी उम्र थोड़ी निकली और 18 मार्च को जब यूपी के सीएम के तौर पर गोरखपुर के सांसद योगी आदित्य नाथ का नाम आते ही एक नया सवाल खड़ा हो गया कि वो किसी पंसद हैं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके प्रमुख मोहन भागवत की?
मीडिया इस मामले में लगभग दो धड़ों में बंट चुका है। कई राजनीतिक पत्रकार कह रहे हैं कि मोदी-शाह केंद्रीय मंत्री और यूपी के गाजीपुर से सांसद मनोज सिन्हा को सीएम बनाना चाहते थे लेकिन आखिरी वक्त में संघ के दखल की वजह से योगी सीएम बनाए गए। योगी आदित्य नाथ को सीएम किसने बनाया, इससे जुड़ी अटकलें की कड़ी में नया दावा टीवी के राजनीतिक संपादक र्ने किया है। शर्मा ने चैनल की वेबसाइट पर लेख लिखकर दलील दी है कि योगी आदित्य नाथ अमित शाह की पसंद हैं। शर्मा ने लेख में इसके पीछे के कारणों की भी विस्तार से व्याख्या की है।
शर्मा की मानें तो अमित शाह योगी आदित्य नाथ की संगठन क्षमता, जमीन पर पकड़ और लोकप्रियता से बेहत प्रभावित थे। शर्मा के अनुसार साल 2013 में अमित शाह के संग यूपी में हुए एक घटना ने योगी के बारे में उनकी राय पर गहरा असर डाला। योगी को साल 2013 में महासचिव बनाते हुए उत्तर प्रदेश का प्रभार सौंपा गया था। उसके बाद योगी ने राज्य में बेजान पड़े संगठन में जान डालनी शुरू की। इस दौरान अमित शाह ने गोरखपुर का कई बार दौरा किया और योगी से चर्चा की। शाह के एक करीबी ने शर्मा को बताया कि उसी दौरान एक बार जब अमित शाह गोरखपुर जा रहे थे तो रास्ते में एक जगह गांववाले उग्र विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। उस समय शाह के पास कोई भी सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। खुद को मुश्किल में देख शाह ने योगी को फोन किया। देखते ही देखते कुछ ही मिनटों के अंदर योगी की हिंदू युवा वाहिनी के कई युवक मोटरसाइकिल से वहां पहुंच गए और शाह के लिए रास्ता खुलवा दिया।
शर्मा के अनुसार भाजपा द्वारा चुनाव पूर्व कराए गए ज्यादातर सर्वे में योगी पीएम मोदी के बाद दूसरे सबसे लोकप्रिय भाजपा नेता के तौर पर सामने आए थे। उनके मुख्यमंत्री बनाए जाने के पीछे इन सर्वे के नतीजों का बड़ा हाथ रहा। जिस तरह विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं ऐसे में इस बात की भी संभावना है कि साल 2019 में विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ें। ऐसे में योगी की छवि हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण में भी मददगार होगी।
शर्मा के अनुसार पीएम मोदी और शाह शुरुआत में मनोज सिन्हा को यूपी का सीएम बनाना चाहते थे आरएसएस नेता कृष्ण गोपाल और काशी क्षेत्र के कुछ प्रचारकों की सिन्हा के प्रति नापसंदगी के चलते उनका नाम दौड़ में पिछड़ गया। इसके अलावा यूपी भाजपा के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य भी मनोज सिन्हा के नाम के खिलाफ थे। मौर्या भी योगी की तरह 1990 के दशक में राम जन्मभूमि आंदोलन से भाजपा की राजनीति में उभरे थे।