अगरतला। त्रिपुरा में पूर्व मंत्री और सीपीएम के मौजूदा विधायक वानुलाल साहा की सोशल मीडिया पर टिप्पणी से आक्रोश फैलने लगा है। आम लोगों से लेकर राजनीतिक लोगों तक हर जगह तीखी आलोचना हो रही है। त्रिपुरा प्रदेश भाजपा के महासचिव के अनुसार, विधायक वानुलाल साहा ने सीपीएम के काले अध्याय की यादें ताजा कर दी हैं। एक पूर्व शिक्षक के रूप में उनकी इस तरह की टिप्पणी अशोभनिय और बेहद आश्चर्यजनक है। संयोग से वानुलाल साहा के खिलाफ बीती रात बिशालगढ़ थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है। जिसमें दावा किया गया था कि उनकी टिप्पणी भड़काऊ है।
हाल ही में विधायक वानुलाल साहा ने अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखा था कि ईंट, लाठी, पेट्रोल बम आदि का मुकाबला करने के लिए जन विद्रोह करिये और घर घर में लाठी, दाव, चौखट का डंडा, सब्बल, पहंसुल, कुल्हाड़ी, खोंती और लोहे के पाईप आदि रखिए। ये सब कानूनी रूप से शाकाहारी अस्त्र हैं। उनका कहना है सभी स्त्री, पुरुष, किशोर एवं वृद्ध बिना कोई भूल किए अपने हाथ के नजदीक ये अस्त्र रखें। और, बाहर से आने वाले हमलावरों से मुकाबला करने के लिए साहस जुटाएं। आत्म रक्षा के लिए प्रतिरक्षा सामग्री यानी हथियार रखना अपराध नहीं हैं। बिना मुकाबले के जान माल की रक्षा असंभव है। साथ ही उन्होंने आवाज़ दिया युवा तुम आग बनो, हज़ारों की संख्या में सभी युवा तैयार हो जाएं। गुंडे और शासक दल के गुंडों का साहस से प्रतिरोध करें। साथ में इलाके की जनता को इकठ्ठा करके उन्हें सक्रिय करिए और उनका नेत्तृत्व कीजिए।
अब ये आरोप लगाया गया है कि उनके ‘कानूनी रूप से शाकाहारी हथियार’ की टिप्पणी ने सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को प्रभावित किया है। क्योंकि, कई युवाओं ने उस मैसेज का जवाब दिया है। ऐसे में त्रिपुरा में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने का डर आम जनता के मन में बैठ गया है। प्रदेश भाजपा महासचिव पापिया दत्त ने मंगलवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पूर्व मंत्री और विधायक वानुलाल साहा की इस तरह की टिप्पणी ने उनके 25 साल सत्ता में रहने का रहस्य एक बार फिर से साबित कर दिया है। वे उसी पुराने तरीके को अपनाकर सत्ता में वापसी करना चाहते हैं। उन्होंने व्यंग्यात्मक रूप से कहा, वे सत्ता में रहने के लिए इतने भूखे हैं कि वे किसी को बर्दास्त नहीं कर सकते।
पापिया के मुताबिक, सीपीएम नेताओं ने अतीत में आतंकवाद को उकसाया था। न केवल सत्ता में रहते हुए, बल्कि 1988 से 1993 तक गठबंधन की अवधि के दौरान, उन्होंने त्रिपुरा में असीमित हिंसा को अंजाम दिया। उन्होंने दावा किया कि उस वक्त शाम छह बजे के बाद लोग उदयपुर, अंबासा, तेलियामुरा नहीं जा सकते थे। अब फिर से सीपीएम समर्थकों ने तिप्रा मोथा की आड़ में पूरे एडीसी क्षेत्र में अशांति पैदा कर दी है।
उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में कोरोना के प्रकोप को लेकर कोहराम मचा है। ऐसे में भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन सरकार हर संभव मदद की कोशिश कर रही है। अब तक सात लाख गरीब परिवारों के पास खाना भेजा गया है। साथ ही 1000 रुपये की आर्थिक मदद भी किया गया है। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा सरकार ने कोरोना में अपने माता-पिता की मौत होने से अनाथ बच्चों की सारी जिम्मेदारी ली है। हालांकि, सीपीएम नेता त्रिपुरा सरकार की इस उदार मानसिकता को पचा नहीं पा रहे हैं। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि मेलारमाथ के नेता लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा गठबंधन के सत्ता में आने के बाद से त्रिपुरा में एक भी राजनीतिक हत्या नहीं हुई है। इसलिए मैं विधायक वानुलाल साहा की टिप्पणी की कड़ी निंदा करता हूं।
प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता सुब्रत चक्रवर्ती ने कहा कि राज्य में अस्थिरता पैदा करना माकपा नेताओं का स्वभाव है। उनका कटाक्ष सीपीएम नेता जितेंद्र चौधरी, बिजन धर आदि लगातार भड़काऊ टिप्पणी कर रहे हैं। इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस निश्चित रूप से उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करेगी। वहीं मुख्यमंत्री के ओएसडी संजय मिश्रा ने एक ट्वीट में कहा अगर यह बात भाजपा के किसी अदने से नेता ने भी कही होती तो राष्ट्रीय मीडिया में बवाल मच गया होता। लेकिन बुद्धिजीवी होने का पैदायशी तमगा रखने वाले वाम नेताओं की हिंसात्मक बातों की चर्चा तक नहीं है। भानूलाल साहा त्रिपुरा की मानिक सरकार में वित्त मंत्री रहे हैं और चार बार के एमएलए हैं।