बीफ पर बवाल गहराया, 4 साहित्यकारों ने सम्मान लौटाया
केंद्रीय पंजाबी लेखक सभा के पूर्व अध्यक्ष और पंजाब के प्रसिद्व नाटककार प्रो. अजमेर सिंह औलख ने कहा कि कुछ समय से डॉ.कालबुर्गी, दाबोलकर और पनसारे जैसी महान शख्सियतों की हत्या से उन्हें सदमा पहुंचा है। इन हस्तियों की धर्म निरपेक्ष सोच के चलते सांप्रदायिक लोगों ने साजिश के तहत इनकी हत्याएं की हैं।
औलख ने कहा कि अगर देश में साहित्यकारों और लेखकों की ऐसे ही सांप्रदायिक ताकतों द्वारा हत्या की जानी है तो उन्हें मिले पुरस्कार स्वीकार्य नहीं हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश के दादरी में इकलाख की गोमांस खाने का आरोप लगाकर हत्या कर दी गई। इस घटना से देश की हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता कलंकित हो गई है।
उन्होंने कहा कि ऐसे हमलों पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी कई गंभीर सवाल खड़े करती है। ऐसी परिस्थितियों में देश की एकता और अखंडता को बचाने के लिए साहित्यकारों को ही आगे आना पड़ रहा है।
‘साहित्य को निशाना बनाना चिंताजनक’
साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले कहानीकार गुरबचन सिंह भुल्लर ने कहा कि मौजूदा समय में जिस प्रकार साहित्य और संस्कृति को निशाना बनाया जा रहा है, उससे वे बेहद चिंतित हैं। साहित्यकार इससे डरने वाले नहीं और इसे बचाने के लिए हर संभव प्रयास करते रहेंगे। मूल रूप से बठिंडा के गांव पित्थों निवासी भुल्लर इस समय दिल्ली में रह रहे हैं।