उत्तर प्रदेशराज्य
बेटी ने निभाया फर्ज, मां की चिता को दी मुखाग्नि
दस्तक टाइम्स एजेंसी/उत्तर प्रदेश के बांदा में स्थित पल्हरी गांव में अपनी मां का अंतिम संस्कार बेटी ने किया। मुखाग्नि भी उसी ने दी। हालांकि यह काम पुत्रों द्वारा किए जाने की परंपरा है।
ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि कपाल क्रिया में वंशज से मुखाग्नि दिलाना ज्यादा शुभ माना जाता है। कैलशिया के कोई पुत्र नहीं था। मात्र एक पुत्री राजाबेटी है। उसका भी कई वर्षों पूर्व विवाह हो चुका है। कैलशिया के पति का निधन पहले हो चुका था।
लगभग 76 वर्षीय कैलशिया की भी शुक्रवार को मृत्यु हो गई। शनिवार को यहां हरदौली घाट मुक्तिधाम में कैलशिया का अंतिम संस्कार किया गया।
पुत्री राजाबेटी ने मुखाग्नि समेत अंतिम संस्कार की सभी रस्में पूरी कीं। राजाबेटी ने बताया कि मां की यही अंतिम इच्छा भी थी। इस अवसर पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष अखिलेश शुक्ल, राममिलन पटेल, प्रशांत समुद्रे सहित मृतक के परिजन उपस्थित थे।
उधर, ज्योतिषाचार्य पंडित उमाकांत त्रिवेदी के मुताबिक मुखाग्नि ज्यादातर पुरुषों के हाथों दी जाती है, लेकिन यदि परिवार या वंश में कोई नहीं है तो पत्नी व बेटियां व अन्य परिवार की अन्य महिलाएं भी मुखाग्नि दे सकती हैं। इसमें किसी तरह का कोई दोष नहीं है।
वेदों के अनुसार बेटियां दूसरे परिवार से जुड़ जाती हैं। अंतिम संस्कार की कपाल क्रिया में अपने वंशज से मुखाग्नि दिलाना ज्यादा शुभ माना जाता है। जब वंश में कोई न हो तो बेटी से मुखाग्नि दिलाने में कोई गुरेज नहीं है।
वेदों के अनुसार बेटियां दूसरे परिवार से जुड़ जाती हैं। अंतिम संस्कार की कपाल क्रिया में अपने वंशज से मुखाग्नि दिलाना ज्यादा शुभ माना जाता है। जब वंश में कोई न हो तो बेटी से मुखाग्नि दिलाने में कोई गुरेज नहीं है।