बेटे की जान बचाते-बचाते इस माँ ने गवाएं अपने दोनों पैर
मां तो मां होती है। मां न दर्द जानती है… ना मौत का डर। मां तो सिर्फ बच्चे की मुस्कान जानती है। यही सच दिखाती है मेदिनीनगर की ये तस्वीर। यहां रेड़मा ओवरब्रिज के पास मंगलवार दोपहर कौड़िया गांव की सुचिता अपने 5 माह के बच्चे को गोद में लिए ट्रैक पार कर रही थी, तभी मालगाड़ी आ गई।
बच्चे को लिए सुचिता पटरी के बीचोंबीच लेट गई। बच्चा बच गया मगर सुचिता के दोनों पांव कट गए। हादसे के बाद बेहोशी में भी सुचिता का हाथ बच्चे को ही ढूंढ़ता रहा। अस्पताल में भर्ती सुचिता की स्थिति नाजुक है। उसके बच्चे को सीडब्ल्यूसी ने संरक्षण में ले लिया है। सुचिता के पति की फरवरी में ही जान चली गई थी।
वहीं ऑस्ट्रेलिया में भी एक एेसा ही मामला सामने आया है जहां मां ने जान पर खेलकर अपने बच्चे की जान बचाई। ब्रिस्बेन नाम की महिल ग्रामीण इलाके में अपने करीब तीन महीने के बच्चे के साथ तूफान में फंस गई थी। महिला ने अपने बच्चें को तो बचा लिया पर खुद बुरी तरह जख्मी हो गई। उसने अपनी इन चोटिल तस्वीरों को अपने फेसबुक पर शेयर किया है।
फियोना सिम्पसन नाम की महिला ने बताया कि वो ब्रिस्बेन में अपनी कार में अपने बच्चे और उसकी दादी के साथ कहीं जा रही थी। तभी रास्ते में तूफान अचानक आ गया। बड़े-बड़े पत्थर उनकी कार से आकर टकराने लगे जिससे उनके कांच टूटने लगे। फियोना ने कार के कांच और बच्चे के बीच एक दीवार बन गई तकि उसके बच्चे को शीशे का एक टुकड़ा भी ना लगने पाए। ऐसा उसने काफी देर तक किया।
इस पूरे वाक्ये के दौरान उसके शरीर पर इतने कांच के टुकड़े चुभे कि वह पूरी तरह लहूलुहान हो गई, लेकिन फिर भी वहां से नहीं हटी। उसने अपनी इन चोटिल तस्वीरों को अपने फेसबुक पर शेयर किया है। उसने इस पोस्ट के साथ ये भी लिखा है कि उसे इस घटना से ये सीख मिली है कि तूफान में कभी भी ड्राइव पर नहीं निकलना चाहिए।