राष्ट्रीयलखनऊ

बेनी के खिलाफ तेज हुआ विरोध

Beni+Prasadलखनऊ। लोकसभा चुनाव से पहले अपने बेतुके बयानों के कारण सुर्खियों में रहने वाले पूर्व केन्द्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा की मुश्किलें चुनाव हारने के बाद अब और भी बढ़ती जा रही हैं। बेनी संप्रग सरकार में कई बार अपने बयानों से पार्टी और सरकार के लिए असहज स्थिति की वजह बन चुके थे। इसके अलावा पार्टी का एक तबका भी उनसे नाराज चल रहा था लेकिन आलाकमान के करीब होने के कारण बेनी उन पर हावी रहते थे। अब सियासी परिस्थितियां बदलने के बाद पार्टी के अन्दर बेनी का विरोध और भी तेज होता जा रहा है। कांगे्रस नेता पंकज कुमार श्रीवास्तव ने अब खुलकर बेनी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं द्वारा अनर्गल बयानबाजी से कांग्रेस पार्टी को काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा बेनी सहित कांग्रेस के पूर्व केन्द्रीय मंत्रियों एवं राष्ट्रीय नेताओं द्वारा की जा रही टिप्पणियों पर रोक लगायी जाती तो पार्टी की स्थिति बहुत ज्यादा खराब न होती। इन्हीं नेताओं द्वारा की गयी टिप्पणियों और कार्यकर्ताओं की लगातार उपेक्षा के कारण आज कांग्रेस पार्टी इस स्थिति में पहुंच गई है। बेनी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि सन् 2००9 में देवीपाटन मंडल के अन्तर्गत चार लोकसभा क्षेत्रों में तीन पर जनता ने कांग्रेस पार्टी पर विश्वास और भरोसा जताया था लेकिन एक पूर्व केन्द्रीय मंत्री के कारण कांग्रेस पार्टी को 2००9 से अब तक काफी नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने कहा कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री द्वारा सन् 2०12 में विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण के दौरान बसपा के इशारे पर कांग्रेस से कमजोर प्रत्याशियों को उतारकर बसपा को मजबूत करने का प्रयास किया गया। लेकिन बसपा की जगह समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को सफलता मिली और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके परिजनों पर व्यक्तिगत आलोचना एवं राजनीतिक आरोप लगाने वाले पूर्व केन्द्रीय मंत्री बेनी अब समाजवादी पार्टी की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1० वर्ष शासन सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बेनी की उदासीनता के कारण अपने को पूरी तरह से उपेक्षित महसूस किया। इतना ही नहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता आम कार्यकर्ताओं से बात करना तो दूर मिलने का समय नहीं दे पाते थे। जिसके कारण कार्यकर्ताओं में निराशा और कुण्ठा व्याप्त हुई।

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