बेरोजगारो पर चली शिक्षा के रखवालों की दोहरी तलवार
एजेन्सी/शिक्षा विभागीय नियम और कानून के अनुसार कला शिक्षा को अनिवार्य विषय माना गया है, लेकिन उपशासन सचिव ने इसे अनिवार्य विषय नहीं माना है। आरटीई में जवाब मांगने पर विषय के अनिवार्य होने की हकीकत सामने आई। लिहाजा विभागीय अधिकारी ही कला शिक्षकों की उम्मीदों पर पानी फेर रहे हैं।
शिक्षा विभाग में कला शिक्षकों की भर्ती को लेकर लगातार पीएमओ में चिट्ठियां लिखी गई। पीएमआे ने मामले को गंभीर मानते हुए कार्रवाई के लिए शिक्षा विभाग को निर्देश दिए, लेकिन विभाग के अधिकारियों ने पीएमओ को गुमराह करने के लिए कला शिक्षा को अनिवार्य नहीं होना बता दिया। कला शिक्षकों की भर्ती मामले में संघर्ष कर रहे बेरोजगारों ने आरटीई से जवाब मांगा गया तो बोर्ड और माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से जवाब मिला कि कला शिक्षा विषय 20 साल पहले से ही अनिवार्य कर रखी है।
उपशासन सचिव ने यह लिखा
उप शासन सचिव नाहरसिंह ने पीएमओ को लिखे पत्र में लिखा कि राजस्थान बेराजगार चित्रकला अभ्यर्थी और बेराजगार संगीत कला शिक्षक संघ की ओर से बार-बार ज्ञापन देकर चित्रकला और संगीत शिक्षक के पद सृजीत करने के लिए लिखा जा रहा है। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में चित्रकला, संगीत विषय अनिवार्य नहीं है। इस विषयों पर नवीन पद सृजीत किया जाना संभव नहीं है। वर्ष 2015-16 में इन पदों के लिए वित्तीय प्रावधान भी नहीं है। वर्तमान में जिन विद्यालयों में यह विषय संचालित है, उनमें मानदंड के अनुसार पद सृजीत हैं।
आरटीई में यह आया जवाब
वर्ष 1995 से कला शिक्षा विषय (संगीत और चित्रकला) माध्यमिक स्तर तक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। उच्च माध्यमिक कक्षा 11वीं व 12वीं में चित्रकला और संगीत एेच्छिक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है।
माध्यमिक निदेशक ने भी भेजी थी अनुशंसा
माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने उप शासन सचिव को पद सृजीत करने की अनुशंसा भेजी थी। राज्य के सरकारी विद्यालयों में पहली से दसवीं कक्षा तक कला शिक्षा अनिवार्य हैं, लेकिन शिक्षकों के पद सृजित नहीं हैं। चित्रकला-संगीत व्याख्याताओं के पद स्वीकृत हैं, लेकिन द्वितीय-तृतीय श्रेणी के पद नहीं है। संबंधित विषयों का संचालन शासकीय नीति से संबंधित है।