नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार देश के विकास के लिए हर ठोस कदम उठानें को हमेशा तैयार रहती है। इसी को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने बैंकों की खस्ता हालत सुधारनें के लिए 2.11 लाख करोड़ रूपये के रिकैपिटलाइजेशन लोन को मंजूरी दे दी है। इनमें से 1.35 लाख करोड़ रूपये रिकैपिटलाइजेशन बांड के जरिये दिए जायेंगे। जबकि 76 लाख करोड़ रूपये का बजटरी सपोर्ट और बाजार लोन से मुहैया किया जायेगा। यक़ीनन सरकार के इस फैसले से बैंकिंग सेक्टर में उछाल आएगा।
सरकार का ज्यादा ध्यान है पब्लिक सेक्टर के बैंको पर
आपको बता दें बैंकिंग सेक्टर पहले से ही एनपीए को लेकर दबाव में है। हाल में में जारी किये गए डाटा के अनुसार देश के करीब 39 लिस्टेड बैंक हैं जो 8.35 लाख करोड़ रूपये के एनपीए से घिरे हुए हैं। वित्त सचिव अशोक लवासा ने प्रेस कांफ्रेंस में एक प्रजेंटेशन भी दिया। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार का ज्यादा से ज्यादा ध्यान पब्लिक सेक्टर के बैंकों की हालत सुधारनें पर है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इसके लिए कई महत्वपूर्ण कदम भी उठा रही है।
रोजगार पैदा करनें की कोशिश में भी लगी हुई है सरकार
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का पूरा ध्यान इसे मजबूत करनें के साथ ही इसके विकास पर भी है। सरकार इसके जरिये रोजगार पैदा करनें की कोशिश में भी लगी हुई है। लवासा के अनुसार अभी पब्लिक सेक्टर के बैंक्स बढे हुए एनपीए और कर्ज के तले डूबे हुए हैं। राजीव कुमार ने बताया कि बैंकिंग सेक्टर का एनपीए काफी बढ़ा हुआ है। यह मार्च 2015 में 2.75 लाख करोड़ रूपये था, जबकि जून में यह बढ़कर 7.33 लाख करोड़ रूपये हो गया।
नोटबंदी के बाद से मजबूत हुआ है पब्लिक सेक्टर
रिकैपिटलाइजेशन के लिए दिए जानें वाले फण्ड से पहले कई चीजों को ध्यान में रखा जायेगा। इसके लिए बैंकों के कारोबार और उनके लैंडिंग पैटर्न को भी देखा जायेगा। साथ ही बैकों का प्रदर्शन और फण्ड का सही इस्तेमाल करनें की क्षमता को देखकर ही फण्ड दिया जायेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नोटबंदी के बाद पब्लिक सेक्टर और मजबूत हुए हैं। कर्ज देने की उनकी क्षमता में काफी इजाफ़ा हुआ है।