नई दिल्ली। केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने इंडियन ओवरसीज बैंक के अफसरों और व्यापारियों के एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इस गठजोड़ ने बैंक से जारी की गई फर्जी गारंटी को हथियार बनाकर आम जनता का 321 करोड़ रुपया हांगकांग की एक कंपनी के हवाले कर दिया।
सीबीआई सूत्रों ने बुधवार को बताया कि इस घपले में शामिल 11 लोगों और कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इन्हीं लोगों के ठिकानों पर पंजाब के चंडीगढ़, लुधियाना, पंचकूला, अमृतसर और जीरकपुर में कई स्थानों पर छापे मारे गए।
आरोप है कि इस घोटाले का मास्टरमाइंड इंडियन ओवरसीज बैंक का एसिस्टेंट मैनेजर आशू मेहरा है। उसी ने सारी साजिश रची थी। उसी ने हांगकांग स्थित एक कंपनी के पक्ष में एक तरह की गारंटी बनवाकर दी थी। इसी की बदौलत उस कंपनी ने बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी), ब्रह्माा ब्रांच और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की दुबई स्थित ब्रांच से वर्ष 2014 और 2016 में कर्ज हासिल कर लिया।
सीबीआई ने अपनी एफआईआर में बैंक की चंडीगढ़ शाखा के दो और एसिस्टेंट मैनेजर नीतीश नेगी और गौरव भाटिया, चंडीगढ़ की कंपनी विजन प्रोकान के मालिक दिनेश कुमार, हाइट्स इंटरनेशनल के मालिक अमनप्रीत सिंह सोढ़ी, साईं भक्ति इम्पेक्स के निदेशक किरपाल और गौरव किरपाल का नाम शामिल है।
इसके अलावा, साईं भक्ति एम्पैक्स, हांगकांग की कंपनी कलर वेव (एचके) और कुछ अन्य अनाम अधिकारियों के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है। सोढ़ी हांगकांग की कंपनी का भी मालिक है।
सूत्रों का कहना है कि मेहरा के पास ऐसे गारंटी पेपर जारी करने का अधिकार नहीं था। लेकिन रिटायर्ड ब्रिगेडियर और उसके ससुर एमएस दुल्लत का भी नाम एफआइआर में दर्ज किया गया है। जांच एजेंसी बैंक ऑफ बड़ौदा और पीएनबी के अफसरों की भूमिका की भी जांच कर रही है।
सीबीआई के प्रवक्ता आरके गौर ने बताया कि आरोपियों ने इंडियन ओवरसीज बैंक के अधिकारियों की मदद से फर्जी गारंटी पेपर तैयार कराके पीएनबी, दुबई और बीओबी, बहामाज से मोटी रकम निकाल ली। आइओबी की शिकायत के मुताबिक उसे, पीएनबी व बीओबी की विदेशी शाखाओं को 321 करोड़ रुपये का चूना लगा है।