बैकडोर से मेडिकल में प्रवेश को सुप्रीम कोर्ट ने ठहराया अवैध
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्राइवेट काउंसलिंग के जरिए मेडिकल में दाखिला वैध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में कुछ मेडिकल स्टूडेंट्स ने रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी जिसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बैकडोर से मेडिकल में प्रवेश करने वाले स्टूडेंट्स के प्रति सहानुभूति नहीं रखी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि प्राइवेट काउंसलिंग के जरिए मेडिकल में प्रवेश अवैध है। दरअसल ग्लोकल मेडिकल कॉलेज की तरफ से हुई काउंसलिंग के जरिए याचियों का दाखिला हुआ था। लेकिन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने कॉलेज द्वारा प्राइवेट काउंसलिंग के आधार पर किए गए 67 स्टूडेंट्स को डिस्चार्ज लेटर जारी करते हुए और निर्देश दिया था कि इन स्टूडेंट्स को डिस्चार्ज किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट में कुछ स्टूडेंट्स ने एमसीआई के फैसले को चुनौती दी थी। स्टूडेंट्स की दलील थी कि ग्लोकल मेडिकल कॉलेज द्वारा जो काउंसलिंग का आयोजन हुआ था उसके तहत उनका दाखिला हुआ था और पहले साल और दूसरे साल की परीक्षा में वह पास हुए हैं। वहीं एमसीआई और यूपी सरकार की दलील थी कि ये एडमिशन पिछले दरवाजे से दिया गया है। साथ ही कहा गया कि ग्लोकल मेडिकल कॉलेज और इन स्टूडेंट्स के बीच जो सांठगांठ है उसी के तहत ये दाखिला हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर रखा है और इसके तहत नीट के आधार पर एमबीबीएस और बीडीेएस कोर्स में दाखिले के लिए सेंट्रलाइज्ड काउंसलिंग की व्यवस्था की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह से देखा जाए तो ग्लोकल मेडिकल कॉलेज ने यूपी सरकार के नोटिफिकेशन के उलट प्राइवेट काउंसलिंग का आयोजन किया। जबकि यूपी सरकार का नोटिफिकेशन सुप्रीम कोर्ट के 2 मई 2016 के जजमेंट के मुताबिक है। उक्त नोटिफिकेशन के मद्देनजर ग्लोकल मेडिकल कॉलेज को इस बात की इजाजत नहीं थी कि वह प्राइवेट काउंसलिंग का आयोजन करे। और ऐसे में प्राइवेट काउंसलिंग के जरिेए दिया गया मेडिकल में दाखिला अवैध है।