नई दिल्ली: लाखों करोड़ के ‘बैड लोन’ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि सिस्टम में कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है। कोर्ट ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि सरकार को सिस्टम में सुधार करना होगा। आपको यह बताना होगा कि इसे रोकने के लिए वास्तव में आप काम कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि क्या सरकार इसे लेकर कोई कमेटी बना रही है, जो ये सुझाव दें कि कैसे ‘बैड लोन’ को रोका जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्रालय से पूछा है कि बैड लोन के मामलों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं, ये 19 जुलाई तक सुप्रीम कोर्ट को बताएं।
मंगलवार की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने SG रंजीत कुमार से कहा कि हम ना तो बैंकर हैं और ना ही एक्सपर्ट। ना कोर्ट तकनीकी एक्सपर्ट है। ऐसे में सरकार को ही तय करना है कि वो इन अनियमितताओं पर कैसे अंकुश लगाए। कोर्ट ने RBI और इंडियन बैंक एसोसिएशन को भी जवाब देने को कहा है।
RBI की डिफाल्टर लिस्ट को सावर्जनिक होना चाहिए
याचिकाकर्ता वकील प्रशांत भूषण ने एक बार फिर कहा कि RBI की डिफाल्टर लिस्ट को सावर्जनिक होना चाहिए। दरअसल, देश के सरकारी बैंकों के लोन डिफाल्टरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हो रही है। RBI ने सुप्रीम कोर्ट में 500 करोड़ से ज्यादा के लोन डिफाल्टर की लिस्ट सीलबंद कवर में सौंपी थी और अपील की थी कि ये सावर्जनिक नहीं होनी चाहिए। यहां तक कि ये राशि भी सावर्जनिक नहीं होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये राशि इतनी बड़ी है और अटॉर्नी जनरल से पूछा था कि इस मामले में क्या किया जाना चाहिए।