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बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन ने कहा- मालवीय जी के अंत्योदय सिद्धांत से किया जा सकता है कुरीतियों का अंत

नई दिल्ली: महामना मदन मोहन मालवीय की 156 वीं जयंती समारोह का आयोजन 25 दिसंबर को मालवंकर सभागार में किया गया. इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन ने कहा संघ और मालवीय जी का कार्य एक सम था उन्होंने आगे कहा जाति प्रथा को समाप्त करने के लिए मालवीय जी ने काशी हिन्दू विश्विद्यालय में स्वयं से प्रेरणा से जगजीवन राम जैसे नेताओं को बनाने का काम किया.बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन ने कहा- मालवीय जी के अंत्योदय सिद्धांत से किया जा सकता है कुरीतियों का अंत

स्वांत रंजन ने कहा की तथाकथित सवर्ण मानसिकता समाज को तोड़ने का काम करती है, जिससे समय रहते हुये नहीं छोड़ा गया तो आने वाले समय में हमारे पास सजोने के लिए कुछ नहीं रहेगा. हम आने वाली पीढ़ी को क्या देंगे उस पर भी विचार करना पड़ेगा और क्या दे रहे हैं ये भी सोचने को मजबूर होना पड़ेगा. इन कुरीतियों का अंत मालवीय जी के अंत्योदय के सिद्धांत पर हीं किया जा सकता है . मालवीय जी अंत्योदय के युगद्रष्टा हैं . हम सब को अपने जीवन में मालवीय जी से सीखने की आवश्यकता है. आज के समय में मालवीय जी की उपयोगिता और अधिक बढ़ गई है.

कार्यक्रम में भारत सरकार के राज्यमंत्री शिवप्रताप शुक्ल ने कहा कि आज जब हम समाज के कुरीतियों को समाप्त करने में लगे है. सरकार तीन तलाक जैसे मुद्दों पर ध्यान दे रही है, जिसका उद्देश्य सबका साथ सबका विकास है, लेकिन मालवीय जी ने 1920 में महिलाओं के लिए विद्यालय खुलवाये ताकि महिलआयें आत्मनिर्भर हो सके . वो भी उस समय सबका साथ सबका विकास का सिद्धांत हीं था. उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकार ने मालवीय जी को भुलाने का काम किया लेकिन मोदी सरकार ने भारत रत्न दे कर भारत के रत्न के रूप में स्थापित किया . इस अवसर पर मालवीय जी के पौत्र जस्टिस गिरधर मालवीय,वेदप्रकाश,पन्नालाल जायसवाल इत्यादि उपस्थित रहे.

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