ब्याज दरों में कटौती चाहता है उद्योग जगत
नई दिल्ली : भारतीय उद्योग जगत चाहता है कि आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती करे। केंद्रीय बैंक मंगलवार को अपनी सालाना मौद्रिक समीक्षा पेश करने जा रहा है। हालांकि, उद्योग जगत की इस मांग के बावजूद रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में कटौती की गुंजाइश नहीं है। विशेष रूप से हालिया बेमौसम बरसात की वजह से आगामी महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका की वजह से केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना नहीं दिखती। समझा जाता है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन सालाना मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती जरूरत व मुद्रास्फीति संभावनाओं पर अंकुश के बीच संतुलन बैठाने का प्रयास करेंगे। बजाज समूह के चेयरमैन राहुल बजाज ने कहा कि उद्योग हमेशा ब्याज दरों में कटौती चाहता है। निचली ब्याज दरों से उद्योग की कोष की लागत घटेगी। इसी तरह की राय जताते हुए गोदरेज समूह के चेयरमैन आदि गोदरेज ने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बेहद जरूरत है। इससे आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा।
सार्वजनिक क्षेत्र के यूनियन बैंक के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अरुण तिवारी ने कहा कि इस बात की संभावना कम है कि रिजर्व बैंक सात अप्रैल को मौद्रिक रुख को और नरम करेगा। मौजूदा मूल्य स्थिति और केंद्रीय बैंक द्वारा हाल के समय में दो बार ब्याज दरों में कटौती के मद्देनजर इसकी संभावना नहीं है। इससे पहले रिजर्व बैंक ने 15 जनवरी व 4 मार्च को मुख्य नीतिगत दरों यानी रेपा रेट में 0.25-0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। दोनों बार कटौती मौद्रिक नीति की नियमित समीक्षा से अलग की गई थी।