ब्रिटिश सरकार ने दोबारा जनमत संग्रह को ठुकराया
यूरोपियन यूनियन से बाहर निकलने की तैयारी
लंदन : ब्रिटिश सरकार ने शनिवार को यूरोपियन यूनियन की सदस्यता को लेकर ब्रेक्जिट मतदान के बाद दोबारा जनमत संग्रह करवाने की मांग की याचिका को खारिज कर दिया. इस पर 41 लाख लोगों के दस्तखत थे. ‘द इंडिपेंट’ की रपट के मुताबिक, यह 2011 में याचिका की प्रक्रिया शुरू होने के बाद सबसे ज्यादा दस्तखत वाली सरकारी याचिका थी. अपने आधिकारिक जबाव में विदेश कार्यालय ने कहा कि 3.3 करोड़ लोगों ने अपनी राय दी है और उनकी राय का सम्मान किया जाना चाहिए. रिपोर्ट में विदेश कार्यालय के हवाले से बताया गया, हमें अब यूरोपियन यूनियन से बाहर निकलने की प्रक्रिया की तैयारी करनी होगी.’ यह याचिका ब्रेक्जिट के एक समर्थक ने जनमत संग्रह से पहले शुरू की थी. इसमें सरकार से आग्रह किया गया था कि अगर छोड़ने के पक्ष में 60 फीसदी से कम लोग मतदान करते हैं या कुल मतदान 75 फीसदी से कम होता है तो सरकार जनमत संग्रह के परिणाम को खारिज कर दे. सरकारी याचिकाओं पर संसद में बहस के लिए कम से कम एक लाख लोगों के दस्तखत की जरूरत होती है.
विदेश कार्यालय ने कहा, ‘यूरोपियन यूनियन जनमत संग्रह अधिनियम को दिसंबर 2015 में विशाल स्वीकृति प्राप्त हुई है. इस अधिनियम पर संसद में बहस हुई और दोनों सदनों ने इसे पारित किया. इस अधिनियम के लिए कम मतदान की सीमा निर्धारित नहीं की गई थी.’ ‘जैसा कि प्रधानमंत्री ने हाउस ऑफ कॉमंस में 27 जून को दिए अपने बयान में स्पष्ट कर दिया है कि यह जनमत संग्रह ब्रिटिश इतिहास में सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया रही है. इसमें 3.3 करोड़ लोगों ने अपनी राय दी है.’ ‘प्रधानमंत्री और सरकार बिल्कुल स्पष्ट है कि इस प्रकार का भारी भरकम जनमत संग्रह एक पीढ़ी में एक बार ही हो सकता है. जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि इसके नतीजों का सम्मान किया जाना चाहिए. हम अब यूरोपीय संघ से निकलने की प्रक्रिया शुरू करने जा रहे हैं और सरकार यूरोपीय संघ के साथ बातचीत में ब्रिटिश लोगों के लिए सबसे अच्छा संभव परिणाम सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’ हालांकि दूसरे जनमत संग्रह की मांग धीरे-धीरे जोर पकड़ रही है. द इंडिपेंडेंट द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक ब्रिटेन के 10 में चार लोग यूरोपियन यूनियन से निकलने से पहले दूसरे जनमत संग्रह के पक्ष में हैं.