ब्रिटेन में नौकरीपेशा भारतवंशियों पर लटकी ‘बर्खास्तगी’ की तलवार, सताने लगा अंजान खौफ
एजेंसी/ लंदन। ब्रिटेन की जनता द्वारा यूरोपियन यूनियन (ईयू) छोडऩे का फैसला लिए जाने के बाद वहां रह रहे भारतीयों में चिंता का माहौल है। ब्रिटेन में काम करने वाले भारतीयों को नौकरी की फिक्र सता रही है। ब्रेग्जिट के चलते ब्रिटेन में स्किल्ड लोगों की मांग बढ़ेगी, लेकिन बाहरी लोगों का विरोध करने वाला खेमा यूरोपीय देशों से आए लोगों की बढ़ती संख्या पर सवाल खड़े कर रहा है। ऐसे में यूरोपीय देशों से आए लोगों और भारतीयों के बीच कड़ा मुकाबला होगा।
ब्रिटेन में करीब 15 लाख भारतीय मूल के ब्रिटिश रहते हैं। ब्रिटेन में फ्रीलांस जर्नलिस्ट के तौर पर काम कर रहे तमिलनाडु के लोगानाथन गणेशन ने कहा कि जनमत संग्रह के बाद उनकी जॉब खतरे में है क्योंकि उनकी कंपनी का मुख्यालय जर्मनी में है। गणेशन ने ब्रिटिश नागरिक से शादी की थी और 2015 में ब्रिटेन में शिफ्ट हो गए थे।
ब्रिटेन को हर साल 67 अरब रु. का निर्यात
जॉब को लेकर अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है क्योंकि कई फाइनेंशियल फर्म ऐसी हैं, जो यूके से अपना कारोबार समेटने पर विचार कर रही हैं। भारत के आईटी सेक्टर के निर्यात में ब्रिटेन की 17 फीसदी हिस्सेदारी है। भारत का आईटी सेक्टर ब्रिटेन को हर साल करीब 67 अरब रुपए का निर्यात करता है। जनमत ने गोवा के 20,000 लोगों के भविष्य पर भी सवाल खड़े किए हैं, जो पुर्तगाली नागरिकता के आधार पर यूके में काम कर रहे हैं।
दुनिया को 2.1 ट्रिलियन डॉलर की चपत
ईयू से बाहर होने का ब्रिटेन का फैसला दुनिया की अर्थव्यवस्था पर बहुत भारी पड़ा है। इससे ग्लोबल इक्विटी मार्केट को 2.1 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। निवेशकों ने शेयर मार्केट से पैसे निकालकर सोने में लगाना शुरू कर दिया। टोक्यो और पेरिस के स्टॉक एक्सचेंज में करीब आठ फीसदी की गिरावट रही, वहीं फ्रेंकफर्ट में यह आंकड़ा सात फीसदी का रहा। लंदन और न्यूयॉर्क के बाजार तीन फीसदी से ज्यादा नीचे रहे। मुद्राओं का भी हाल बुरा रहा।
आईटी सेक्टर में भी मुश्किल
ब्रिटेन में 4 लाख तमिल रहते हैं, इनमें से 3.5 लाख श्रीलंकाई तमिल हैं। ब्रिटेन का ईयू छोडऩा भारतीय आईटी सेक्टर के लिए मुश्किल का सबब साबित हो सकता है क्योंकि इन कंपनियों को अब कारोबार करने के लिए ब्रिटेन और यूरोप में अपने द तर खोलने होंगे। इससे कंपनियों की लागत बढ़ जाएगी।