ब्रिटेन में रह रहे 131 वांछित अपराधियों में से एक भी नहीं लौटा वापस
पिछली सुनवाई में भारत से केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय की चार सदस्यीय टीम भी अदालत में पहुंची थी। वहीं आपको बता दें कि मुंबई के बाद दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने भी विजय माल्या को भगोड़ा अपराधी घोषित किया है। हालांकि ब्रिटेन की पीएम थेरेसा मे की भारत यात्रा के दौरान भारत ने ब्रिटेन को 57 भगोड़े की लिस्ट सौंपी थी। ब्रिटेन ने भी ऐसे 17 भगोड़ों की लिस्ट दी थी, जो ब्रिटेन की अदालत में दोषी हैं। दोनों मुल्कों के बीच प्रत्यर्पण की संधि 1993 में हो गई थी पर समझौते के इतने दिनों बाद भी ब्रिटेन ने किसी भी भगोड़े को भारत को नहीं सौंपा है। इसके उलट भारत अब तक दो लोगों को ब्रिटेन को सौंप चुका है।
देश के कई बैंकों से 9000 करोड़ का कर्ज लेकर विदेश भाग चुके शराब करोबारी विजय माल्या को भारत वापस लाने के लिए मोदी सरकार ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। इसके लिए केंद्र सरकार ब्रिटेन के साथ दो दशक पुरानी उस संधि को समाप्त करने पर भी विचार कर रही है जो विजय माल्या के प्रत्यर्पण में रोड़ा बनी हुई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) चाहता है कि केंद्र सरकार 1995 में की गई भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) को लागू करे, इस तरह की संधि का उपयोग आपराधिक गतिविधियों से निपटने के लिए जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिए किया जाता है। विदेश मंत्रालय इस मामले में कानूनी विशेषज्ञों की सलाह ले रहा है कि क्या यूके की मदद से इस संधि को रद्द किया जा सकता है या नहीं।
हालांकि माल्या को भारत भेजने में ब्रिटिश सरकार लगातार टालमटोल कर रही है। वहीं पीएनबी घोटाले में करोड़ों रुपए का चूना लगाकर एंटीगुआ की नागरिकता लेने वाले मेहुल चौकसी के प्रत्यर्पण के लिए वहां की सरकार ने सकारात्मक संकेत दिए हैं। कहा जा रहा है कि वे प्रत्यर्पण की भारत की सही अपील पर विचार कर सकता है। हालांकि इसके उलट विवादित इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाईक पर मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि वे भारत को उनका प्रत्यर्पण नहीं करेंगे। इधर जांच एजेंसियों ने सरकार के सामने ललित मोदी के भी प्रत्यर्पण की मांग रख दी है। हालांकि अब तक सरकार के प्रयासों पर प्रत्यर्पण का इतिहास भारी नजर आ रहा है।
आर्थिक अपराध को अंजाम देने के बाद देश छोड़कर भागने वाले अपराधियों को रोकने के लिए संसद ने 27 जुलाई को एक बिल पास किया था। इस बिल पर बोलते हुए वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि हमारी सरकार विश्व के सारे देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि को लेकर सहयोग की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों को रोकने के लिए हमारी 48 देशों के साथ पहले से ही प्रत्यर्पण संधि है लेकिन दुनिया के अन्य देशों के साथ ही इस प्रकार की संधि करने के लिए सरकार अग्रसर है। पीयूष गोयल ने कहा कि केंद्र सरकार इस प्रयास में लगी हुई है कि जो आर्थिक अपराधी देश छोड़कर विदेश में है उसका किसी प्रकार जल्द प्रत्यर्पण किया जा सके।