स्वास्थ्य

ब्रेस्ट कैंसर शर्माना कैसा, ऐसे करें अब स्वयें जांच

इलाज से बेहतर है परहेज और स्तन कैंसर में तो खुद आपके द्वारा की गई शुरुआती जांचों ही बच सकती है जान..

मर्ज की गंभीरता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकती हैं कि विश्व की आठ में से एक महिला को अपने जीवनकाल में स्तन कैंसर (ब्रेस्ट कैंसर) से ग्रस्त होने की आशंका रहती है। यह है तस्वीर का एक पहलू। दूसरा पहलू यह है कि यदि समय रहते इस मर्ज का पता चल जाए और इसका समुचित इलाज शुरू हो जाए तो रोगग्रस्त 90 प्रतिशत महिलाएं इस मर्ज से निजात पा सकती हैं।

पहचान

-स्तन के इर्द-गिर्द की त्वचा का दबा-दबा होना (डिंपल्ड इफेक्ट ऑन द स्किन)।
– निपल से रक्तस्राव होना या फिर कांख (आर्मपिट) में गांठ होना।
– यदि इनमें कोई लक्षण किसी महिला को नजर आए तो उसे शीघ्र स्त्रीरोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।

न झिझकें डॉक्टर से

अक्सर महिलाएं स्तन में गांठ की शिकायत को लेकर डॉक्टर के पास जाने में संकोच महसूस करती हैं। महिलाओं के मन में यह भय व्याप्त हो जाता है कि कहीं वे इस गंभीर मर्ज से ग्रस्त तो नहीं हो चुकी हैं? वस्तुत: उनकी यह प्रवृत्ति ठीक नहीं है। भयभीत होकर मेडिकल चेकअॅचप से कतराना रोग की गंभीरता को बढ़ाना है। ब्रेस्ट कैंसर के बारे में आप यह कह सकती हैं कि यह मर्ज अधिकतर पचास या साठ साल की उम्र में होता है, किंतु तीस साल की आयु और इसके बाद भी यह कैंसर हो सकता है।

रहें सजग

लगभग 80 फीसद महिलाओं को स्तन कैंसर का जोखिम रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के बाद बढ़ जाता है। इसी तरह जो महिलाएं मोटापे से ग्रस्त हैं, उनमें भी स्तन कैंसर से ग्रस्त होने की संभावना अधिक रहती है। वहीं जो महिलाएं अत्यधिक वसायुक्त आहार ग्रहण करती हैं, उन्हें भी यह मर्ज पकड़ सकता है। इसी तरह जिन महिलाओं के बच्चे नहीं होते और जिनका मासिक चक्र जल्दी शुरू हो गया हो या फिर जिन महिलाओं का मेनोपॉज देर से हुआ हो या फिर जिन्होंने देर से गर्भ धारण किया हो। उपर्युक्त सभी कारण स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं।

सही जीवन शैली से सुरक्षा

  1. स्वास्थ्यकर और संतुलित पोषक आहार ग्रहण करें। फास्ट फूड व जंक फूड से परहेज कर अपने आहार में फलों व सब्जियों को वरीयता दें।
  2. अत्यधिक तंग या अत्यधि ढीली ब्रा न पहनें। सही साइज की ब्रा ही पहनें। ब्रा के साइज के कई प्रकार होते हैं। ब्रा का वही साइज अच्छा है, जिसमें आप असहजता न महसूस करें।
  3. अपने वजन को नियंत्रित रखें। भूख से अधिक भोजन न करें। वजन कम करने के लिए डाइटिंग न करें। इसके बजाय अपने आहार में वसा व चिकनाईयुक्त आहार को स्थान न दें। याद रखें आपका जितना वजन बढ़ेगा, उतना ही आपके कैंसर से ग्रस्त होने की संभावना बढ़ती जाती है।
  4. सुबह-शाम टहलें और नियमित तौर पर व्यायाम करें।

उपचार की विधियां

स्तन कैंसर के इलाज में मरीज की स्थिति और उसकी बीमारी की अवस्था (स्टेज) के अनुसार कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और हार्मोन टैब्लेट्स का प्रयोग किया जाता है। एक वक्त था जब स्तन कैंसर के मामलों में सर्जरी के जरिए पूरे स्तन को निकालने की जरूरत पड़ती थी, लेकिन इन दिनों पीड़ित महिला के स्तन को निकालने की जरूरत नहीं पड़ती है। आजकल कैंसर गांठ या गिल्टी वाले भाग को ही सर्जरी के जरिए निकाला जाता है। इसके बाद रेडियोथेरेपी दी जाती है। अगर पीड़ित महिला की स्थिति गंभीर है और उसके पूरे स्तन को निकालना जरूरी हो गया है तो शरीर के दूसरे भाग से त्वचा, वसा (फैट) और मसल्स लेकर स्तन के ऑपरेशन के बाद हटाए गए स्तन की जगह स्तन का पुनर्निर्माण (रीकॉन्सट्रक्शन) भी किया जा रहा है। स्तन कैंसर के इलाज की यह प्रक्रिया मिनिमम इनवेसिव सर्जरी यानी कम से कम चीर-फाड़ के तौर पर अंजाम दी जाती है।

अपनी जांच करें

  1. मासिक चक्र के दिनों के बीत जाने के एक सप्ताह बाद का समय स्तनों के निरीक्षण (आईने के सामने खड़े होकर) करने के लिए उपयुक्त माना जाता है।
  2. दर्पण में ध्यान से अपने स्तनों को देखें और उन्हें स्पर्श करते हुए इस बात को परखें कि इनके किसी भाग में कोई असामान्य परिवर्तन तो नहीं हुए हैं, जैसे ब्रेस्ट और निपल के आकार में या उनकी स्थिति में या स्तनों के किसी भी भाग के स्वभाविक रंग में किसी तरह का कोई बदलाव तो नहीं हुआ है।
  3. अंगुली के अग्रभाग से स्तनों के समस्त भाग को हल्के से दबाकर छुएं। निरीक्षण करें कि कि स्तनों में कहीं कोई गांठ, गिल्टी या सूजन तो नहीं है।
  4. यह महसूस करें कि स्तनों के किसी भाग को दबाने पर दर्द तो नहीं हो रहा है। यदि दर्द या कोई असहज लक्षण नजर आए तो शीघ्र ही डॉक्टर से संपर्क करें।

 

 

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