मां और शिशु को समर्पित अगस्त महीने का पहला हफ्ता ब्रेस्ट फीडिंग वीक के रूप में मनाया जाता है। मां का दूध बच्चे के लिए किसी भी वरदान से कम नहीं होता है। बच्चे के पैदा होते ही सबसे पहले पीले रंग का दूध जो मां की छाती से उतरता है वो उसके शिशु को कई जानलेवा बीमारियों से लड़ने के लिए शक्ति प्रदान करता है।
आइए जानते हैं ब्रेस्ट फीड करवाते समय महिलाओं को किन खास बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। बच्चे को दूध पिलाने के बाद ब्रेस्ट को बेबी वाइप से पोछना चाहिए। इसके अलावा ब्रेस्ट को नारियल तेल या फिर किसी बेबी लोशन से मसाज करने पर वह ढीले नहीं पड़ते। आपके ब्रेस्ट पर लगा हुआ बच्चे का थूक या फिर दूध भी फायदेमंद हो सकता है। इससे भी आप अपने स्तनों की मालिश कर सकती हैं, यह जर्म फ्री और प्राकृतिक होता है। ब्रेस्ट में अगर चोट लग जाए तो उसकी वजह से होने वाली जलन या खुजली को मिटाने के लिए सबसे पहले निप्पल पर घी लगा लें। इसके अलावा यह फटे हुए निप्पल को भी ठीक करने का एक आसान उपाय है।
इसके अलावा महिलाएं हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि प्रसव के बाद कभी भी बहुत टाइट ब्रा नहीं पहने। ऐसा करने से बच्चे को दूध पिलाने में परेशानी हो सकती है। साथ ही ब्रेस्ट पर पसीने की वजह से रैश और खुजली होने लगेगी इसलिए हमेशा आरामदेह ब्रा पहननी चाहिए। आप अपने ब्रेस्ट के बालों को हेयर रिमूविंग क्रीम से खुद साफ कर सकते हैं। ऐसा इसलिए भी करना जरूरी होता है क्योंकि कभी-कभी बच्चे दूध पीते वक्त वहां के बाल निगल सकते हैं।
ब्रेस्टाफीडिंग लगभग 6 महीने के बाद भी चलती रहती है। यही वो समय होता है जब बच्चों के दांत भी निकलने लगते हैं। ऐसे में ब्रेस्ट में शहद लगा दें जिससे बच्चे अपना मुंह कहीं और न ले जा सके।
ब्रेस्ट फीडिंग के कारण ब्रेस्ट लटक ना जाएं इसके लिए खास फेसमास्क लगाएं और जब वह सूख जाए तब ब्रेस्ट को अच्छी तरह धो लें। ध्यान रहे की निप्पल पर यह मास्क न लगाएं। ब्रेस्ट को शेप में रखने के लिए इलास्टिक वाली सूती टी शर्ट वाले कपड़े ही पहने।