कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण से ठीक होने के बाद मरीजों में ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. मामलों में आए अचानक उछाल से लोगों में खौफ का माहौल है, जिसका फायदा कालाबाजारी करने वाले उठा रहे हैं. मार्केट में ब्लैक फंगस के इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन-बी की कमी है, जिसके चलते कई गिरोह इन इंजेक्शन्स की कालाबाजारी में लगे हुए हुए हैं. ताजा मामला तेलंगाना के हैदराबाद से सामने आया है, यहां एम्फोटेरिसिन-बी की कालाबाजारी में लगे दो गिरोहों के सदस्यों को पकड़ा गया है.
कमिश्नर टास्क फोर्स वेस्ट जोन की तीन टीमों ने जाल बिछाकर 9 आरोपियों को पकड़ा है, ये दो गिरोह के सदस्य बताए जा रहे हैं. ये एम्फोटेरिसिन-बी की अवैध खरीद-फरोख्त में शामिल थे. इनके पास से एम्फोटेरिसिन-बी (एम्बिलॉन, एमआरपी 7,858 रुपये और फंगिलिप, एमआरपी 7,400 रुपये) के इंजेक्शन बरामद किए गए, हर एक इंजेक्शन को ये 35 हजार से 50 हजार रुपए में बेच रहे थे. ये इंजेक्शन ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किए जा रहे हैं. वेस्ट जोन टास्क फोर्स पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 28 एम्फोटेरिसिन-बी (एम्बिलॉन और फंगिलिप) के 50 ML के ये इंजेक्शन पकड़े हैं.
हैदराबाद शहर के पुलिस कमिश्नर अंजनी कुमार ने कहा कि कोविड-19 रोगियों, जिनमें ब्लैक फंगस के लक्षण हैं, उनके इलाज के लिए बाजार में एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की मांग ज्यादा है. इसके 50 ML के इंजेक्शन की एमआरपी ₹ 7,400 रुपए है, आरोपी इन इंजेक्शन वाइल को 35 हजार से 50 हजार रुपए तक में बेच रहे थे. एक आरोपी का दोस्त जो अभी फरार MSN लैब्स का की रीजनल मनैनजर (MR) है. सभी ने मिलकर अवैध रूप से एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन खरीदे और कई जगहों पर इन्हें बेचने की योजना बनाई. बाजार में मांग ज्यादा होने के चलते इन्होंने प्रत्येक इंजेक्शन की कीमत 35 से 50 हजार रुपए रखी. 5 सदस्यों को एसआर नगर थाने, जबकि दूसरे गिरोह के 4 सदस्यों को बंजारा हिल्स थाने को सौंप दिया गया है.