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ब्लैक फंगस से बचाने के लिए पांच घंटे से ज्यादा चला ऑपरेशन, आंख और जबड़ा ऑपरेशन से निकाला गया

नई दिल्ली: देश में कोरोना संक्रमण के बाद ब्लैक फंगस के लगातार बढ़ रहे मामले चिंता बढ़ा रहे हैं. ब्लैक फंगस का शिकार हुए कई लोगों की आंखें निकालनी पड़ी ताकि उन्हें बचाया जा सके. उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर में सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) में ब्लैक फंगस से बचाने के लिए बड़ा ऑपरेशन किया गया है जहां मरीज की आंख और जबड़े को निकाल दिया गया है. ऑपरेशन पांच घंटे से ज्यादा चला.

जिस महिला का ऑपरेशन हुआ वह पहले कोरोना संक्रमण का शिकार थी. कुछ दिनों पहले ही उसके चेहरे पर सूजन आना शुरु हुई. अस्पताल में ब्लैक फंगस का पता चला. सीटी स्कैन से पता चला कि हालात गंभीर है, ऑपरेशन करना होगा. ब्लैक फंगस शरीर के दूसरे अंगों तक ना फैल जायेय इसलिए आंख और जबड़े को बाहर निकालना पड़ा. उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के मामलों में बढोतरी हो रही है. अब तक कुल मरीजों की संख्या 279 और 44 मौत हो चुकी हैं.

कोरोना संक्रमण की तरह ब्लैक फंगस से भी लड़ने के लिए कई राज्यों ने तैयारी कर ली है. उत्तर प्रदेश में बढ़ते ब्लैक फंगस के मामलों से निपटने के लिए एक टीम गठित की गयी है. दिल्ली में ब्लैक फंगस के मामलों में कमी नहीं आयी है. दो दिनों पहले ही दिल्ली में एक हजार से ज्यादा मामले सामने आये थे जिसमें 89 लोगों के मारे जाने की खबर थी.

देश के कई राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले आ रहे हैं. इसका सबसे ज्यादा खतरा उन्हें है जिन्होंने कोरोना संक्रमण को मात दे दी है. ब्लैक फंगस का कारण कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए दी जा रही दवाईयां भी हैं. कई ऐसे इंजेक्शन है जो ब्लैक फंगस के खतरे को बढ़ा देते हैं. इससे लड़ने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है, रोग प्रतिरोधक क्षमता का मजबूत होना. अगर आपको कोरोना संक्रमण के साथ- साथ कोई दूसरी बीमारी भी है तो इस रोग से लड़ने में आपको परेशानी हो सकती है, शोध तो यहां तक बताते हैं कि अगर किसी को मधुमेह है और कोरोना संक्रमण से लड़कर ठीक हो चुका है तो उसे ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है.

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