बड़ा खुलासा ‘महात्मा गांधी की हत्या के पीछे थी ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी
सवाल: आप क्यों चाहते हैं कि महात्मा गांधी की हत्या की जांच के लिए नया आयोग गठित हो?
जवाब: कपूर आयोग ने केस से जुड़ी अहम सूचनाओं के दस्तावेजीकरण के तौर पर बहुत ही शानदार काम किया है। आयोग ने जो 3 अहम जानकारियां दी, वे हैं- (1) मनुबेन गांधी जो मुख्य गवाह थीं लेकिन कभी भी अभियोजन पक्ष की तरफ से ट्रायल के दौरान पेश नहीं की गई। उनके पास ऐसी जानकारी थी जो अभियोजन पक्ष के लिए ‘नुकसानदेह’ थी- कि गोड्से ने 30 जनवरी की दोपहर को बिरला हाउस का दौरा किया था और उस वक्त वह महात्मा की आसानी से हत्या कर सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। (2) मनुबेन का बयान जो अलवर पुलिस के रिकॉर्ड्स में दर्ज है कि एक विदेशी साधु ने 30 जनवरी को दोपहर बाद 3 बजे महात्मा की हत्या की जानकारी देते पर्चे बांटे थे। (3) सरला बरवे की गवाही जो पुणे के तत्कालीन कलेक्टर की पत्नी थीं। उन्होंने बताया था कि हत्या से 2 या 3 दिन पहले साठे ने उनसे कहा था कि पुणे से कुछ लोग महात्मा की हत्या के लिए गए थे और बाबूराव सनस व वसंतराव देशमुख ब्राह्मणों के घरों को जलाने की योजना बना रहे थे। बरवे की गवाही से लगता है कि हत्या और ब्राह्मणों के घरों को जलाना एक साजिश का हिस्सा था। इन अहम जानकारियों के विश्लेषण के बजाय कपूर आयोग ने बेबुनियाद टिप्पणी की कि हत्या के पीछे सावरकर और उनके समूह की साजिश थी। तो क्या आयोग के मुताबिक सावरकर ने महात्मा की हत्या और ब्राह्मणों के घरों को जलाने की साजिश रची? क्या सच में? हाई कोर्ट द्वारा मेरी याचिका खारिज किए जाने के बाद मैंने अहम सबूत जुटाएं हैं और मैं अपनी याचिका में सुधार करना चाहता हूं। नए आयोग के गठन के बजाय अब उच्चाधिकार प्राप्त समिति के गठन की मांग कर रहा हूं।
सवाल: आपने गांधी की हत्या पर 20 से ज्यादा सालों तक रिसर्च किया है। आखिर आपके पास ऐसा क्या है जिस वजह से हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद भी आप इस मामले को आगे ले जाना चाहते हैं?
जवाब: गांधी अमर नहीं थे। उन्हें भी किसी न किसी वक्त मरना ही था लेकिन जिस तरह उनकी मौत हुई वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण थी। …मैंने जो सबूत इकट्ठे किए हैं उससे लगता है कि फोर्स 136 (द्वितीय विश्व युद्ध में हिस्सा लेनेवाली ब्रिटेन की एक यूनिट) हत्या में शामिल थी।
सवाल: आपकी याचिका से लगता है कि गांधी की हत्या इसलिए की गई ताकि वह अगले महीने पाकिस्तान की यात्रा पर न जा सके…
जवाब: गांधी की हत्या ऐसे समय हुई जब 3 दिन पहले ही जिन्ना उनकी पाकिस्तान यात्रा के लिए सहमत हुए थे। यह विचित्र है। इससे भी ज्यादा विचित्र और शर्मनाक यह तथ्य है कि हम नहीं जानते कि हत्या के लिए हथियार किसने दिए थे जो उस वक्त आसानी से उपलब्ध नहीं थे। इसके अलावा ऑटोप्सी नहीं की गई। और आखिरी महत्वपूर्ण बात कि हत्या में ब्रिटेन की भूमिका के आरोप लगे। फरवरी 1948 में रूस में भारत की राजदूत विजय लक्ष्मी पंडित को ऐसी जानकारी दी गई लेकिन हमें उसके बारे में डिटेल का कभी पता नहीं चला।
सवाल: आपकी याचिका में जोर देकर कहा गया है कि महात्मा पर 4 गोलियां चलाई गई थीं न कि 3। इससे क्या फर्क पड़ेगा?
जवाब: जो सूचनाएं उपलब्ध हैं उसके मुताबिक जिस हथियार से उनकी हत्या हुई उससे सिर्फ 7 गोलियां चल सकती थी। 3 गोलियां चली थीं। 4 जिंदा कारतूस भी बरामद किए गए थे। इस तरह से सभी सातों गोलियों का हिसाब मिल गया। चौथी गोली चलने का मतलब है कि किसी दूसरे हत्यारे ने वह गोली चलाई हो लेकिन किसी भी रिकॉर्ड में इसका कोई सुराग नहीं मिलता कि दूसरा हत्यारा कौन था।