जानें 1 सितंबर, 2017, दिन- शुक्रवार का राशिफल
न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘हम गर्भपात की अनुमति प्रदान करने को उचित और न्याय के हित में मानते हैं।’ बीस वर्षीय महिला की जांच पुणे के अस्पताल में की गई थी।
इसके बाद चिकित्सकों ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भ्रूण में ‘खोपड़ी और मस्तिष्क का पूरी तरह अभाव’ है और इसके बचने की उम्मीद बेहद कम है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने पीठ को बताया कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में दिए गए निर्देशों के अनुसार सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों से गर्भपात के इस तरह के मामलों से निबटने के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन करने के लिए कहा है।
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न्यायालय ने यह आदेश महिला की ओर से गर्भपात कराने की अनुमति के लिए दायर उस याचिका पर दिया जिसमें कहा गया था कि भ्रूण की खोपड़ी विकसित नहीं हुई है। और अगर बच्चे का जन्म जीवित अवस्था में हो भी जाता है तो भी वह ज्यादा दिन जीवित नहीं रह सकेगा।
गौरतलब है कि चिकित्सीय गर्भ समापन कानून की धारा 3(2)(बी) गर्भधारण करने के 20 सप्ताह के बाद के गर्भ को गिराने की अनुमति नहीं देती।