भारत सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर कहा है कि वह देश में कोख किराए पर देिए जाने के हाल के चलन पर रोक लगाएगी। अब तक भारत में किराए की कोख कानूनी है।
सरकार के इस फैसले से भारत में सरोगेसी का कारोबार प्रभावित होगा, भारत में सरोगेसी का कारोबार 9 अरब डॉलर का है और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है,लेकिन आलोचकों का मानना है कि कानून न होने के कारण इससे भारत की गरीब और कम उम्र महिलाओं का शोषण भी होता है।
सरकार सरोगेसी (किराए की कोख) के व्यवसायीकरण के पक्ष में नहीं है।
सिर्फ परोपकार के उद्देश्य से ही किराए की कोख को अनुमति दी जाएगी वह भी सिर्फ जरूरतमंद भारतीय शादीशुदा निसंतान के लिए। इसके लिए कानून एक स्थापित एक संस्था से अनुमति लेनी होगी। सरकार सरोगेसी की व्यावसायिक सेवा पर रोक लगाएगी और ऐसा करने वालों को सज़ा देगी।
सिर्फ भारतीय दंपत्तियों के लिए ही सरोगेसी की अनुमति होगी, कोई विदेशी भारत में सरोगेसी की सेवाएं नहीं ले सकता। सरोगेसी से जन्मे शारीरिक रूप से अक्षम बच्चे की देखभाल का जिम्मा नहीं लेने वाले माता-पिता को सजा दी जाएगी।
इस कानून को तैयार करने में सरकार को कुछ समय लगेगा,किराए की कोख का चलन यूरोप में प्रतिबंधित है और अमरीका में इस पर कड़े नियम लागू हैं। सस्ती तकनीक, अच्छे डॉक्टरों और स्थानीय महिलाओं के उपलब्ध होने के कारण भारत उन कुछ देशों में से है जहां एक महिला बिना किसी कानूनी पचड़े के दूसरा महिला के बच्चे को जन्म दे सकती है।