सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने बीते 24 अप्रैल से ही घरेलू बाजार में पेट्रोल एवं डीजल के दाम में कोई समीक्षा नहीं की है। हालांकि इस बीच अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल महंगे हुए हैं और डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत घटी है। राजनीति और आर्थिक विश्लेषक इस फैसले को कर्नाटक विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं।
अब जबकि कर्नाटक में विधानसभा चुनाव शनिवार को संपन्न हो गया है, तो विश्लेषकों का अनुमान है तेल कंपनियां 13 मई, रविवार से दाम में अच्छी-खासी बढ़ोतरी कर सकती है। कितनी बढ़ोतरी होगी, इस पर तेल कंपनियों के सूत्र कोई संकेत देने से इंकार करते हैं।
वैसे पिछले एक पखवाड़े के दौरान कच्चे तेल की कीमतों और रुपये के कमजोर होने से खुदरा कीमतों पर प्रभाव देखें तो देश में पेट्रोल की खुदरा कीमत में तीन रुपये प्रति लीटर तक की वृद्धि की गुंजाइश बनती है। लेकिन सरकारी कंपनियों को कीमत में इतनी बढ़ोतरी की शायद ही अनुमति मिले।