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बड़ी खुशखबरी : भारत बनने जा रहा है एससीओ का पूर्ण सदस्य, मोदी हुए कजाकिस्तान रवाना

कजाकिस्तान में 8-9 जून को होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में भारत को इस क्षेत्रीय संगठन में पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर शामिल किया जाएगा. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वहां मौजूद होंगे.

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रिपोर्ट के मुताबिक कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच द्विपक्षीय मुलाकात की भी संभावना है. हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ किसी बातचीत से इनकार किया है। गौरतलब है अस्ताना सम्मेलन में भारत के साथ पाकिस्तान को भी एससीओ की पूर्ण सदस्यता दी जाएगी.

विदेश मंत्रालय में यूरेशिया डिविजन के संयुक्त सचिव जी वी श्रीनिवास ने बताया कि ऐसे संकेत हैं कि दायित्व ज्ञापन के तहत पूरी प्रक्रिया का अंतिम चरण अस्ताना में होने जा रहा है। दायित्व ज्ञापन में एससीओ के मौजूदा सदस्यों के राष्ट्र प्रमुखों द्वारा ‘सदस्यता’ की पुष्टि होती है.

एससीओ सम्मेलन के बाद पीएम मोदी कजाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी वर्ल्ड एक्सपो 2017 में भी शामिल होंगे। श्रीनिवासन ने कहा कि एससीओ के सदस्य देशों के नेताओं के साथ कुछ द्विपक्षीय मुलाकातें भी हो सकती हैं.

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एससीओ में शामिल होने के लिए अस्ताना रवाना होने पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के साथ भारत के संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के लेकर इच्छुक हैं. मोदी ने छह देशों वाले एससीओ के सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कजाखिस्तान रवाना होने से एक दिन पहले यह बात कही.

अस्ताना में होने वाले सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान इस यूरेशियाई समूह के पूर्ण सदस्य बनेंगे, जिसमें वर्तमान में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक मोदी अस्ताना की दो दिवसीय यात्रा करेंगे। उन्होंने कहा कि एससीओ सदस्यों के साथ भारत के लंबे समय से संबंध हैं और वह चाहते हैं कि ‘हमारे देशों और हमारे लोगों के परस्पर बेहतरी और विकास के लिए’संबंध इस समूह के जरिये और प्रगाढ़ हों.

रवानगी से पूर्व जारी एक बयान में उन्होने कहा, मैं एससीओ के साथ भारत के सम्पर्क को और गहरा करना चाहता हूं जो आर्थिक, सम्पर्क और आतंकवाद निरोधक सहयोग सहित अन्य चीजों में हमारी मदद करेगा.

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन में प्रक्रिया पूरी होने पर भारत एससीओ का एक पूर्ण सदस्य बन जाएगा, जिसके बाद एससीओ विश्व की कुल आबादी के 40 प्रतिशत और वैश्विक जीडीपी के करीब 20 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करेगा.

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बकौल पीएम मोदी, हमने गत वर्ष ताशकंद की बैठक में पूर्ण सदस्यता की प्रक्रिया शुरू की थी, हम मिलकर लाभकारी जुड़ाव के लिए नये अवसरों का दोहन करेंगे और पूर्ण क्षमता साकार करने के रास्ते में आने वाली चुनौतियों के समाधान के प्रयासों को दोगुना करेंगे।’  नौ जून की शाम में मोदी ‘फ्यूचर एनर्जी’ विषयक ‘अस्ताना एक्सपो’ के उद्घाटन कार्यक्रम में भी शामिल होंगे.

क्या है एससीओ?
वर्ष 2001 में रुस, चीन किर्गिस गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने शंघाई में एक सम्मेलन में शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना की थी. वर्ष 2005 में अस्ताना सम्मेलन में भारत, ईऱान और पाकिस्तान को पर्यवेक्षकों के तौर पर इसमें शामिल किया गया। वर्ष 2010 में ताशकंद में हुए एससीओ सम्मेलन में नई सदस्यता पर पाबंदी हटा ली गई, जिसके बाद से समूह के विस्तार का रास्ता साफ हो गया था.

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भारत का फायदा?
चीन एससीओ की पूर्ण सदस्यता से भारत को लगता है कि वह क्षेत्र में आतंकवाद के खतरे पर ध्यान देने में बड़ी भूमिका निभा सकेगा. भारत एससीएओ की सदस्यता से संगठन के क्षेत्रीय आतंकवाद निरोधक ढ़ांचे (आरएओटीएस) के साथ अपने सुरक्षा संबंधी सहयोग को और गहरा कर सकता है। एससीओ में भारत की स्थाई सदस्यता का रूस पहले से ही पक्षधर रहा है जबकि चीन पाकिस्तान को शामिल कराना चाहता था.

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