उत्तर प्रदेश

प्रदेश में बढ़ी बिजली दरों का लखनऊ जनविकास महासभा ने किया विरोध

लखनऊ : राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा प्रदेश की बिजली वितरण व्यवस्था सुधारे बगैर जिस प्रकार से बिजली की दरें आम जनता के लिए बढ़ा दी गई हैं, उससे प्रदेश की जनता पर अनावश्यक दबाव पड़ेगा और राज्य विद्युत नियामक आयोग के इस कदम से प्रदेश की जनता अचंभित व हतप्रद है। अतः विद्युत की दरों को बढ़ाए जाने के फैसले को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। यह वक्तव्य बिजली की दरों को बढ़ाए जाने के पश्चात लखनऊ जनविकास महासभा के पदाधिकारियों की हुई एक बैठक में उपाध्यक्ष संतोष तिवारी ने दिया। उन्होंने आगे बताया कि विद्युत दर बढ़ाने की बजाय हमारे प्रदेश में जो विद्युत चोरी की अनदेखी की जा रही है, उस चोरी की अनदेखी न करते हुए उसी को यदि हम बचा लें तो हमारा विधुत भंडारण में लगभग 20 से 25 प्रतिशत बढ़ोतरी हो जाएगी। हमें राजस्व वसूली में भी सामाजिक समितियों का सहयोग लिया जा सकता है। इसमें कड़ाई का पालन न करके हम परोक्ष रूप में विद्युत चोरी करने वालों को बढ़ावा ही दे रहे हैं। इससे आम जनता पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है हमारी सरकार की यह जिम्मेदारी होनी चाहिए कि कम खर्चे में हम जनता को ज्यादा से ज्यादा अच्छी सुविधा दें। जिसमें जितना बिजली का उपयोग किया है वह इतना पैसा यदि सरकार को दे तो आगे ऐसी कोई दिक्कत नहीं आएगी।

महासभा में उपस्थित रहें महामंत्री राम तिवारी ने बताया कि प्रदेश में व्याप्त बिजली की कमी से आमजन का ध्यान भटकाने के लिए यह वृद्धि की गई है आम जनता वृद्धि के विरोध में ही उलझी रहेगी। कमी की बात भूल जाएगी। महासभा के संस्थापक संयोजक पंकज तिवारी ने बताया कि महासभा सभी बिजली उपभोक्ताओं की तरफ से एक पत्र मुख्यमंत्री को लिखकर यह मांग करेगी की बिजली की बढ़ी हुई दरों पर रोक लगाई जाए और सर्वप्रथम बिजली कटौती, बिजली की कटिया बिजली की चोरी को रोका जाए। उसके बाद ही बिजली की दरें बढ़ाने के बारे में कुछ सोचा जाए। इस संदर्भ में महासभा के अध्यक्ष एस के बाजपेयी ने सख्त विरोध जताया। बैठक में इनके अलावा मनोज दुबे, आर के पांडे कोषाध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता, मंत्री अजय कुमार यादव, संरक्षक डा. अगम दयाल, अरविंद नाथ मिश्रा सहित कई अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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