भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करने से होती हे कुआरों की मन्नत पूरी
यूं तो शिवभक्त पूरे साल भोले बाबा की अपने-अपने ढंग से पूजा अर्चना करते हुए, लेकिन यूपी के एक शिव मंदिर में भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने से कुंवारों को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।यह मंदिर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी के मैगलगंज में गोमती के किनारे मढिय़ाघाट पर स्थित है। मंदिर को बाबा पारसनाथ के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि दरबार में स्थापित शिवलिंग का अभिषेक करने से कुंवारो को उनका मनचाहा जीवन साथी मिल जाता है। लखीमपुर शहर से करीब 55 किलोमीटर की दूर मैगलगंज कस्बे के दक्षिण में स्थित लगभग पांच किलोमीटर पर गोमती नदी के किनारे मढिय़ाघाट नामक स्थान की ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल मे महर्षि व्यास के पिता पारसनाथ ने इस शिवलिंग का अधिष्ठान कराया था।
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यहां प्रतिदिन सुबह शिवलिंग पर स्वयं ही पूजा अर्चना हो जाती है। ”जल के चढ़ाये यमलोक ते उबारि लेत, चन्दन चढ़ाये चक्रवर्ती करि देत हैं।” यह कहावत देवादिदेव महादेव के लिए है। भगवान आशुतोष अवढरदानी इसलिए कहलाते है क्योंकि वह अपने भक्तों को मुंह मांगा वरदान देते हैं। अगर कोई भी व्यक्ति अपनी शादी न होने को लेकर परेशान है तो वह यहां आकर बाबा पारसनाथ का अभिषेक करता है तो बहुत जल्द ही उसकी इच्छा पूरी हो जाती है।
इस मान्यता के चलते यह मंदिर की अन्य जिलों में भी विख्यात है। विशेषकर श्रावण मास मे तो हजारों कुंवारे दूर दूर से यहां आकर शिवलिंग पर अभिषेक करके अपने इच्छित जीवनसाथी की मांग करते है।
मान्यताओं के अनुसार इस शिव मंदिर की एक और विशेषता है कि मंदिर के पास में स्थित गोमती नदी में डुबकी लगाने के बाद भगवान शिव को जल चढ़ाने से चर्म रोग भी दूर हो जाता है। इन मान्याताओं के चलते सावन माह में मंदिर में बडी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड रहती है ।