भगवान की पसन्द के अनुसार लगायें उन्हे भोग
जब हम भगवान की आराधना करते हैं, तो भगवान कि आराधना के बाद किसी न किसी प्रकार का उन्हे भोग अवश्य लगाते है। मान्यता है कि भोग लगाये बिना प्रार्थना अधूरी समझी जाती है। इसलिए किसी भी भगवान की पूजा के बाद उन्हे भोग लगाना जरूरी समझा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर हम भगवान की पसन्द के अनुसार उन्हे भोग लगाये तो इससे भगवान जल्दी प्रसन्न होते है। जी हां आज हम आपसे इसी भोग से जुड़ी कुछ जरूरी बातों पर चर्चा करने वाले हैं। जहां पर हम जानेगें की किस भगवान को किस प्रकार का भोग लगाना चाहिए?
बताशा – बताशा चीनी से बनने वाली एक प्रचलित मिठाई है, आमतौर पर अलग-अलग तरीके के ये गोल आकृति के होते हैं। बताशा शुक्र की मिठाई है, शुक्र संबंधी समस्याओं के लिए इसका प्रयोग करना चाहिए। अगर दांपत्य जीवन में समस्या हो तो शुक्रवार के दिन देवी को बताशे अर्पित करने चाहिए। कर्ज और शत्रुओं से मुक्ति के लिए बताशे पर लौंग रखकर देवी को अर्पित करने से लाभ होता है।
इमरती – ये मिठाई उड़द की दाल से बनती है, जो विशेष प्रकार से कुंडली की तरह बनाई जाती है। राहु और केतु की समस्या से बचने के लिए पीपल के नीचे इमरती का भोग लगाया जाता है। अगर दुर्घटना के योग हों, तो भैरव जी को इमरती का भोग लगाना चाहिए। शनिवार को इमरती बांटने से धन का अभाव नहीं होता है।
लड्डू – लड्डू कई तरीके के होते हैं, बेसन का, बूंदी का, मेवे का और आटे आदि का। सबसे ज्यादा लाभकारी लड्डू बूंदी का होता है। इसके अंदर सारे गृह पाए जाते हैं। गोल दाने बुध है, मिठास मंगल और सूर्य है, सुंगध शुक्र और चंद्र है, पीला रंग बृहस्पति है, अलग-अलग आकृति के दाने शनि हैं। भगवान को विशेषकर गणेश जी को लड्डू का भोग लगाने से सार गृह नियंत्रित होते हैं और सारी बाधाएं खत्म हो जाती हैं। हनुमान जी को बेसन के लड्डूओं का भोग लगाने से मंगल संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
रसगुल्ला– ये मिठाई शुद्ध रुप से चंद्र और शुक्र की मिठाई है। इसको अगर परिवार के सारे सदस्यों के साथ एक साथ खाया जाए तो संबंध बेहतर होते हैं। जिस किसी के साथ संबंध अच्छे करने हों उसे रसगुल्ले गिफ्ट में दें। रसगुल्ले का रस निचोड़ कर खाने से , ग्रहों से लाभ की संभावना नहीं रह जाती है।