नई दिल्ली : भगवान बुद्ध की प्रज्ञा करुणा व समता की शिक्षा से ही विश्व शान्ति संभव है। विहिप कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को दक्षिणी दिल्ली के बुद्ध विहार में दर्शन-पूजन के बाद कहा कि भारत की पावन धरा पर अवतरित भगवान बुद्ध ने दुनिया को सत्य, अहिंसा, करुणा, प्रज्ञा, समता (सामाजिक समरसता) का संदेश देकर एक भेदभाव मुक्त समाज की स्थापना की थी। विश्व शान्ति के लिए आज उन सिद्धांतों की पुन: प्रतिष्ठा की महती आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि बीते सप्ताह हम नव नियुक्त विहिप पदाधिकारियों को महाराष्ट्र में बाबा साहेब अम्बेडकर जी की दीक्षा भूमि के दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। बौद्ध धर्म की तुलना साम्यवाद से करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए विहिप कार्याध्यक्ष ने कहा कि बाबा साहेब डा अम्बेडकर ने स्वयं कहा था कि यह तुलना बेमानी है। साम्यवाद जबरदस्ती करता है जबकि भारत की धरती पर जन्मा बौद्ध धर्मं अहिंसा व करुणा का उपासक है।
इस अवसर पर उपस्थित जगत्ज्योती बौद्ध विहार के प्रभारी भिक्षु भदंते करुणानन्द महाथेरो ने कहा कि जिस पवित्र स्थल पर आज हम बैठे हैं, सैंकड़ों वर्ष पूर्व, भगवान बुद्धा स्वयं यहाँ पर आए थे तथा अनेक बौद्ध भिक्षुओं की यह तपोस्थली भी रही है। उन्होंने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि विश्व के हिन्दुओं को संगठित रखने वाली संस्था विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष आज यहाँ पधारे हैं। वैसे आलोक कुमार पहले भी इस मंदिर में अनेक अवसरों पर आते रहे हैं किन्तु, विहिप कार्याध्यक्ष बनने के बाद वे पहली बार यहाँ आए हैं अत: हम उनका ह्रदय से स्वागत करते हुए उनकी नई जुम्मेवारी के सफलता पूर्वक निर्वहन के लिए प्रार्थना करते हैं।
इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल, विहिप दक्षिणी दिल्ली के विभाग अध्यक्ष महेश सक्सेना, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग कार्यवाह रवि चोपड़ा, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम सेन्ट्रल जोन चेयरमेन राजपाल सिंह, पूर्व निगम पार्षद महेंद्र कौर नरूला व मंदिर के मुख्य शिष्य गौरव किरार सहित कई लोग मौजूद रहे।