प्रतिवर्ष आषाढ़ शुक्ल नवमी को भडली (भडल्या) नवमी पर्व मनाया जाता है। नवमी तिथि होने से इस दिन गुप्त नवरात्रि का समापन भी होता है। वर्ष 2018 में यह पर्व आज यानी 21 जुलाई को है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार भड़ली नवमी का दिन भी अक्षय तृतीया के समान ही महत्व रखता है अत: इसे अबूझ मुहूर्त मानते हैं तथा यह दिन शादी-विवाह को लेकर खास मायने रखता है। इस दिन बिना कोई मुहूर्त देखे विवाह की विधि संपन्न की जा सकती है। देश के दूसरे कई हिस्सों में इसे दूसरों रूपों में मनाया जाता है। उत्तर भारत में आषाढ़ शुक्ल नवमी तिथि का बहुत महत्व है। वहां इस तिथि को विवाह बंधन के लिए अबूझ मुहूर्त का दिन माना जाता है।
इस संबंध में यह मान्यता है कि जिन लोगों के विवाह के लिए कोई मुहूर्त नहीं निकलता, उनका विवाह इस दिन किया जाए, तो उनका वैवाहिक जीवन हर तरह से संपन्न रहता है, उनके जीवन में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं होता। जुलाई माह में 23 तारीख को देवशयनी एकादशी होने के कारण आगामी 4 माह तक शादी-विवाह संपन्न नहीं किए जा सकेंगे। ऐसे में 4 माह तक शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। इस अवधि में सिर्फ धार्मिक कार्यक्रम कर सकेंगे। इन 4 माहों तक सिर्फ भगवान विष्णु का पूजन-अर्चन होगा। अत: देवउठनी एकादशी के बाद शुभ मंगलमयी समय होने से शुभ विवाह के लगन कार्य, खरीदारी तथा अन्य शुभ कार्य किए जाएंगे। तत्पश्चात दिसंबर 2018 में ही विवाह के मुहूर्त मिलेंगे।ज्ञात हो कि देवशयनी एकादशी से भारत में चातुर्मास माना जाता है जिसका अर्थ होता है कि भडली नवमी के बाद 4 महीनों तक विवाह या अन्य शुभ कार्य नहीं किए जा सकते, क्योंकि इस दौरान सभी देवी-देवता सो जाते हैं।
इसके बाद सीधे देवउठनी एकादशी पर श्रीहरि विष्णुजी के जागने पर चातुर्मास समाप्त होता है तथा सभी तरह के शुभ कार्य शुरू किए जाते हैं। भड़ली नवमी का त्योहार भगवान विष्णु को समर्पित है। 23 जुलाई आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ होगा, साथ ही 19 नवंबर को देवउठनी ग्यारस के दिन विवाह मुहूर्त नहीं रहेगा, पर कुछ लोग अबुझ मुहूर्त का दिवस होने पर विवाह करेंगे। 13 नवंबर से 7 दिसंबर तक गुरु ग्रह के अस्त रहने पर विवाह नहीं हो सकेंगे। दिसंबर 2018 में केवल 4 दिन ही विवाह मुहूर्त रहेंगे। उसके बाद 16 दिसंबर 2018 से 13 जनवरी 2019 तक खरमास होने के कारण शुभ कार्य नहीं किए जा सकेंगे।