भगवान शिव ने किया था वाद्ययंत्र वीणा का निर्माण
वीणा का प्रयोग शास्त्रीय संगीत में होता है। शिवपुराण के अनुसार, नारद की साधना से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें संगीत कला प्रदान की और वीणा का निर्माण किया। शिव प्रदोष स्त्रोत में लिखा है कि जब शूलपाणि शिव ने नृत्य करने की इच्छा की तो सरस्वती ने वीणा, इंद्र ने वेणु, ब्रह्मा ने करताल और विष्णु ने मृदंग बजाया। हिन्दू धर्म में सभी देवी-देवताओं क्लो विशिष्ट स्थानों से नवाजा गया है, इतना ही नहीं ये सभी देवी-देवताएं मनुष्य़ जीवन को अपनी-अपनी तरह से प्रभावित भी करते हैं और उनके लिए उपयोगी भी होते हैं। देवी सरस्वती की बात करें तो उन्हें ज्ञान, पवित्रता और बुद्धि की देवी कहा जाता है। तस्वीरों और पौराणिक कहानियों की बात करें तो उनमें कमल के फूल पर विराजित माता सरस्वती के हाथ में वीणा दिखाई जाती है। समस्त वाद्य यंत्रों में वीणा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिसकी धुनों का संबंध सीधे ईश्वर से स्थापित होता है। ऋषि यज्ञवल्क्य ने कहा भी था “वे मनुष्य जिसे वीणा में महारथ हासिल है, उसे बिना प्रयास के मोक्ष की प्राप्ति होती है”। देवी सरस्वती के हाथ में वीणा बहुत कुछ दर्शाती हैं। देवी सरस्वती के हाथ में जो वीणा है उसे “ज्ञान वीणा” कहा जाता है। यह ज्ञान, अध्यात्म, धर्म और अन्य सभी भौतिक वस्तुओं से संबंधित है। जब वीणा को बजाया जाता है, उसमें से निकलने वाली धुन चारों ओर फैले अज्ञान के अंधकार का नाश करती हैं। सरस्वती देवी, वीणा के ऊपरी भाग को अपने बाएं हाथ से निचले भाग को अपने दाएं हाथ से थामे नजर आती हैं। यह ज्ञान के हर क्षेत्र पर निपुणता के साथ उनके नियंत्रण का सूचक है।