अद्धयात्म

भगवान शिव ने देवी पार्वती को बताए थे जीवन से जुड़े ये रहस्‍य

शिवपुराण के मुताबिक देवी पार्वती सती का पुनर्जन्म थी। पार्वती राजा हिमावत और रानी मैना की बेटी थी और शिव (Lord Shiva) से वे बचपन से ही शादी करना चाहती थी। ऋषिमुनि नारद ने बचपन में ही भविष्यवाणी की थी, कि चाहे कुछ भी हो जाये पार्वती शिव से ही शादी करेंगी। जैसे जैसे वे बड़ी हुई उनका प्रेम शिव के ओर बढ़ता गया।

कई सालों की तपस्या और बाधाओं के बाद उनकी शादी शिव (Lord Shiva) से हो गयी। भगवान शिव ने देवी पार्वती को समय-समय पर कई ज्ञान की बातें बताई हैं। जिनमें मनुष्य के सामाजिक जीवन से लेकर पारिवारिक और वैवाहिक जीवन की बातें शामिल हैं। भगवान शिव ने देवी पार्वती को 5 ऐसी बातें बताई थीं जो हर मनुष्य के लिए उपयोगी हैं, जिन्हें जानकर उनका पालन हर किसी को करना ही चाहिए।

क्या है सबसे बड़ा धर्म और सबसे बड़ा पाप

देवी पार्वती के पूछने पर भगवान शिव ने उन्हें मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा धर्म और पाप मानी जाने वाली बात के बारे में बताया है। भगवान शंकर कहते है श्लोक- नास्ति सत्यात् परो नानृतात् पातकं परम्।। मनुष्य के लिए सबसे बड़ा धर्म है सत्य बोलना या सत्य का साथ देना और सबसे बड़ा पाप है असत्य बोलना या उसका साथ देना। इसलिए हर किसी को अपने मन, अपनी बातें और अपने कामों से हमेशा उन्हीं को शामिल करना चाहिए, जिनमें सच्चाई हो, क्योंकि इससे बड़ा कोई धर्म है ही नहीं। असत्य कहना या किसी भी तरह से झूठ का साथ देना मनुष्य की बर्बादी का कारण बन सकता है।

अपना साक्षी खुद बने

मनुष्य को अपने हर काम का साक्षी यानी गवाह खुद ही बनना चाहिए, चाहे फिर वह अच्छा काम करे या बुरा। उसे कभी भी ये नहीं सोचना चाहिए कि उसके कर्मों को कोई नहीं देख रहा है। कई लोगों के मन में गलत काम करते समय यही भाव मन में होता है कि उन्हें कोई नहीं देख रहा और इसी वजह से वे बिना किसी भी डर के पाप कर्म करते जाते हैं, लेकिन सच्चाई कुछ और ही होती है। मनुष्य अपने सभी कर्मों का साक्षी खुद ही होता है। अगर मनुष्य हमेशा यह एक भाव मन में रखेगा तो वह कोई भी पाप कर्म करने से खुद ही खुद को रोक लेगा।

न करें ये तीन काम

आगे भगवान शिव कहते है कि किसी भी मनुष्य को मन, वाणी और कर्मों से पाप करने की इच्छा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि मनुष्य जैसा काम करता है, उसे वैसा फल भोगना ही पड़ता है। यानि मनुष्य को अपने मन में ऐसी कोई बात नहीं आने देना चाहिए, जो धर्म-ग्रंथों के अनुसार पाप मानी जाए। न अपने मुंह से कोई ऐसी बात निकालनी चाहिए और न ही ऐसा कोई काम करना चाहिए, जिससे दूसरों को कोई परेशानी या दुख पहुंचे। पाप कर्म करने से मनुष्य को न सिर्फ जीवित होते हुए इसके परिणाम भोगना पड़ते हैं बल्कि मारने के बाद नरक में भी यातनाएं झेलना पड़ती हैं।

सफल होने का एक मंत्र

संसार में हर मनुष्य को किसी न किसी मनुष्य, वस्तु या परिस्थित से आसक्ति यानि लगाव होता ही है। लगाव और मोह का ऐसा जाल होता है, जिससे छूट पाना बहुत ही मुश्किल होता है। इससे छुटकारा पाए बिना मनुष्य की सफलता मुमकिन नहीं होती। मनुष्य अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं में अंतर समझे और फिर अनावश्यक इच्छाओं का त्याग करके शांत मन से जीवन बिताएं।

वो चीज़ जो आपका जीवन बदल देगी

आगे भगवान शिव पार्वती को को बताते हैं कि मनुष्य की सारे समस्याओं का एक मात्र कारण है लालच। मनुष्य को हर चीज़ के पीछे भागने के बजाये शारीरक बंधन और कर्म चक्र से मुक्ति पाने के लिए ध्यान और तपस्या करनी चाहिए।

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