भाई दूज पर क्यों की जाती है चित्रगुप्त महाराज की पूजा, जाने पूरी सच्चाई
दिवाली (Diwali 2018) हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है. दिवाली का त्योहार 5 दिनों तक चलता है. इसमें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज आदि मनाए जाते हैं, जिसमें सबसे आखिरी दिन भाई दूज (Bhai Dooj 2018) का त्योहरा मनाया जाता है. इस तिथि से यमराज और द्वितीया तिथि का सम्बन्ध होने के कारण इसको यमद्वितिया भी कहा जाता है.
इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं, उनका स्वागत सत्कार करती हैं और उनकी लम्बी आयु की कामना करती हैं. माना जाता है कि जो भाई इस दिन बहन के घर पर जाकर भोजन ग्रहण करता है और तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है. भईया दूज के दिन ही यमराज के सचिव चित्रगुप्त जी की भी पूजा होती है. इस बार भाई दूज का पर्व 09 नवम्बर को मनाया जाएगा.
भाई दूज के लिए पूजा की प्रक्रिया क्या है?
– आज के दिन भाई प्रातःकाल चन्द्रमा का दर्शन करें.
– इसके बाद यमुना के जल से स्नान करें या ताजे जल से स्नान करें.
– अपनी बहन के घर जाएं और वहां बहन के हाथों से बना हुआ भोजन ग्रहण करें.
– बहनें भाई को भोजन कराएं और उनका तिलक करके आरती करें.
– भाई यथाशक्ति अपनी बहन को उपहार दें.
कौन हैं चित्रगुप्त महाराज और क्या है इनकी महिमा?
– चित्रगुप्त जी का जन्म ब्रह्मा जी के चित्त से हुआ था.
– इनका कार्य प्राणियों के कर्मों के हिसाब किताब रखना है.
– मुख्य रूप से इनकी पूजा भाई दूज के दिन होती है.
– इनकी पूजा से लेखनी, वाणी और विद्या का वरदान मिलता है.
इस दिन चित्रगुप्त जी की उपासना कैसे करें ?
– प्रातः काल पूर्व दिशा में चौक बनाएं.
– इस पर चित्रगुप्त भगवान के विग्रह की स्थापना करें.
– उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं, पुष्प और मिष्ठान्न अर्पित करें.
– उन्हें एक कलम भी अर्पित करें.
– इसके बाद एक सफ़ेद कागज पर हल्दी लगाकर उस पर “श्री गणेशाय नमः” लिखें.
– फिर “ॐ चित्रगुप्ताय नमः” 11 बार लिखें.
– भगवान चित्रगुप्त से विद्या,बुद्धि और लेखन का वरदान मांगें.
– अर्पित की हुई कलम को सुरक्षित रखें और वर्ष भर प्रयोग करें.