पार्टी कार्यकर्ता कुछ पोस्टकार्ड पर लोगों के पास जाकर उनका नाम पता और हस्ताक्षर कराकर उन्हें इकट्ठा करेंगे और फिर सभी पोस्टकार्ड प्रधानमंत्री के पास भेजे जाएंगे।
- दिल्ली में झाड़ू का तोड़ निकालने के लिए भाजपा ने यहां के तीन लाख दलित घरों से एक-एक मुट्ठी चावल लेकर रामलीला मैदान में 5000 किलो की खिचड़ी तैयार कराएगी।
- भाजपा की यूथ विंग आगामी 20 जनवरी को रामलीला मैदान में युवाओं का एक सम्मेलन कराने जा रही है।
- गिहारा के अनुसार, दिल्ली में 1.4 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें से 15% दलित समुदाय से हैं।
नई दिल्ली: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने देश में दलितों के मूड को भांपने के लिए ‘दलित खिचड़ी’ फार्मूला तैयार किया है। दिल्ली में इसका आयोजन 6 जनवरी को होगा। दिल्ली को चुनने की वजह यहां की आम आदमी पार्टी है। जिसका चुनाव चिह्न झाड़ू है। दिल्ली में झाड़ू का तोड़ निकालने के लिए भाजपा ने यहां के तीन लाख दलित घरों से एक-एक मुट्ठी चावल लेकर रामलीला मैदान में 5000 किलो की खिचड़ी तैयार कराएगी। खिचड़ी पकाने के साथ ही भाजपा देश के वोटरों को यह संदेश देगी कि वह केवल सवर्णों की पार्टी नहीं है।
पीएम मोदी या शाह आ सकते हैं खिचड़ी कार्यक्रम में
पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के अनुसार इस ‘खिचड़ी’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या फिर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह शिरकत कर सकते हैं। भाजपा ने करीब 14 लाख पोस्टकार्ड भी तैयार कराए हैं। इन पोस्टकार्ड को संकल्प पत्र नाम दिया गया है और इसमें पीएम मोदी को दलित अत्याचार निवारण एक्ट में हुए बदलाव को रोकने और बाबासाहब आंबेडकर के सम्मान में उनसे जुड़ी पांच जगहों को विकसित करने के लिए धन्यवाद दिया गया है। पार्टी कार्यकर्ता इन पोस्टकार्ड पर लोगों के पास जाकर उनका नाम पता और हस्ताक्षर कराकर उन्हें इकट्ठा करेंगे और फिर सभी पोस्टकार्ड प्रधानमंत्री के पास भेजे जाएंगे। दलितों के साथ-साथ भाजपा की नजरें युवाओं पर भी लगी हैं।
‘नमो टी-शर्ट’ पहनकर दिल्ली के विभिन्न मॉल्स, होस्टल और कॉलेज कैंपस में जाएंगे
यही वजह है कि भाजपा की यूथ विंग आगामी 20 जनवरी को रामलीला मैदान में युवाओं का एक सम्मेलन कराने जा रही है. इससे पहले भाजपा यूथ विंग के कार्यकर्ता ‘नमो टी-शर्ट’ पहनकर दिल्ली के विभिन्न मॉल्स, होस्टल और कॉलेज कैंपस में जाएंगे और युवाओं के बीच पार्टी का प्रचार करेंगे। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ”दिल्ली में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) ने पहली बार चुनाव लड़ा तो कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा था।” इन दिग्गजों में कांग्रेस के चौधरी प्रेम सिंह का नाम सबसे ऊपर आता है। जिन्होंने लगातार 10 बार चुनाव जीता और उनकी इस उपलब्धि के लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था। ऐसे ही शीला सरकार में मंत्री रहे राजकुमार चौहान भी लगातार 1993 से मंगोलपुरी और कोंडली से अमरीश गौतम के अलावा सीमापुरी विधानसभा से वीर सिंह धींगान जीतते आ रहे थे। जिन्हें आम आदमी पार्टी के झाड़ू चुनाव चिह्न ने एक ही झटके में साफ कर दिया।
6 जनवरी को दिल्ली के रामलीला मैदान में खिचड़ी बनाने का उद्देश्य दलितों में यह संदेश भेजना है
ऐसा माना जाता है कि झाड़ू चुनाव चिह्न के चलते दिल्ली की 11 सुरक्षित सीटों पर आम आदमी पार्टी को एक तरफा जीत मिली है। नागपुर का रिकॉर्ड तोड़ने की तैयारी, दिल्ली भाजपा के महामंत्री कुलजीत चहल ने लोकमत समाचार से खास बातचीत में कहा, ”दिल्ली के 3 लाख दलित घरों से एक-एक मुट्ठी चावल और अनाज इकट्ठा कर 6 जनवरी को दिल्ली के रामलीला मैदान में खिचड़ी बनाने का उद्देश्य दलितों में यह संदेश भेजना है कि भाजपा सरकार उनकी भलाई के लिए काम करती रही है और आगे भी ऐसे ही करती रहेगी।” उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत योजना के तहत शौचालयों का निर्माण कराया है, जिनसे दलित समुदाय के लोगों को काफी फायदा मिला है। अब इस कार्यक्र म द्वारा हम ये संदेश अपने सभी दलित भाई और बहनों के बीच पहुंचाना चाहते हैं और आगामी चुनावों में उनसे फिर भाजपा को समर्थन करने की अपील करेंगे।”
इस मोर्चे पर पिछड़ रही है भाजपा
भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष मोहन लाल गिहारा ने कहा, ”उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों से कहा है कि इस इवेंट को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह दिलाई जाए। नागपुर में इससे पहले 3000 किलो की खिचड़ी बनाकर गिनीज बुक में रिकॉर्ड दर्ज कराया गया था। दिल्ली भाजपा इस कार्यक्रम में पुराने रिकॉर्ड को तोड़ने का प्रयास करेगी।” गिहारा के अनुसार, दिल्ली में 1.4 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें से 15% दलित समुदाय से हैं।” पिछले दिनों दलित अत्याचार निवारण अधिनियम में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देशभर में दलितों ने तीखी प्रतिक्रि या दी थी। सरकार को भी इस मसले अपने ही पार्टी सांसदों और सहयोगी दलों की आलोचना झेलनी पड़ी थी। जिसके बाद सरकार ने अध्यादेश लाकर कानून में हुए बदलाव पर रोक लगाई. यही कारण है कि भाजपा अब दलितों को अपने पाले में करने के लिए इस तरह के कार्यक्र मों का आयोजन कर रही है।