उत्तराखंडदस्तक-विशेष

भाजपा संगठन जीता अध्यक्ष हारे

दस्तक ब्यूरो, देहरादून
रानीखेत विधनसभा में एक ऐसा इतिहास रचा गया जिसे पढकर हर कोई यह सोचने पर मजबूर हो गया कि आखिर ऐसे क्या कारण रहे कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को हार का मुंह देखना पड़ा। यहां कांग्रेस के प्रत्याशी करन महरा ने भारी मतो से जीत दर्ज करायी है। कांग्रेस प्रत्याशी करन माहरा को 19035 मत मिले। जबकि भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट को 14054 मतों पर संतोष करना पड़ा। करन मोहरा ने 4981 मतों से अपनी शानदार जीत दर्ज कराकर भाजपा प्रत्याशी की हार के कारणों को चर्चा में बने रहने के लिए छोड़ दिया। कहा तो यह जा रहा है कि रानीखेत में भाजपा नेता अजय भट्ट की अच्छी खासी पैठ थी लेकिन वह बदलते हुए राजनीतिक समीकरणो को समझ नहीं पाये और इसी कारण उनकी हार हो गयी।
उत्तराखण्ड राज्य में जब मोदी लहर चल रही हो और ऐसे में 70 में से 57 सीटें भाजपा के खाते में चली गयी तो फिर रानीखेत की जनता ने भाजपा को क्यों नकार दिया। यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब हर कोई भाजपाई खोज रहा है। सवाल का जवाब खोजने का बड़ा कारण यह है कि इस सीट पर कोई आम नेता नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट स्वयं चुनाव लड रहे थे। उनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी करन महरा से था। जब अजय भट्ट ने अपना नामांकन पत्र जमा कराया था तभी यह संकेत मिल रहे थे कि रानीखेत में मोदी लहर चल रही है और निश्चित रूप से भाजपा के खाते में जीत जायेगी लेकिन न जाने मतदाताओं को भाजपा की कौन सी बात बुरी लग गयी और उन्होने मोदी लहर के बीच ही भाजपा को नकार दिया। अजय भट्ट को हार का मुंह देखना पड़ा। जबकि यह माना जा रहा था कि यदि भाजपा प्रदेश में सरकार बनायेगी तो अजय भट्ट भी सीएम की दौड़ में शामिल होंगे लेकिन अब स्थितियां बदल चुकी हैं सीएम तो दूर अजय भट्ट सदन तक में बैठने के लायक नहीं बचे। फिलहाल उन्हें पांच साल विधनसभा से दूर रहना पडे़गा। अजय भट्ट की हार के क्या कारण रहे यह तो स्वयं श्री भट्ट नहीं जानते लेकिन सत्ता के गलियारों में चर्चा यह हो रही है कि अजय भट्ट बदलते हुए राजनैतिक समीकरणो को समझ नहीं पाये यदि समय रहते वह रानीखेत की जनता के भावों को समझ जाते तो शायद उनकी हार न होती। अजय भट्ट इस समय सबसे अध्कि सकते में हैं। विधनसभा चुनावों के दौरान अजय भट्ट ने खुद को रानीखेत में ही कैद कर लिया था वह रानीखेत विधनसभा के गली मोहल्ले तक की गलियों को नाप रहे थे। उनकी सक्रियता यह जता रही थी कि निश्चित रूप से वह चुनाव जीत जायेंगे लेकिन अब जनता जर्नादन ने अजय भट्ट को घर बैठा दिया है अब तो वह केवल आत्म चिंतन ही कर सकते हैं कि आखिर हार क्यों हुयी।

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