दस्तक-विशेष

भाजपा सांसद की चिट्ठी से दिल्ली का सियासी पारा चढ़ा

राम शिरोमणि शुक्ल

ramshiromaniअब कुछ महीने पहले भाजपा के एक सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री बंडारू दत्तात्रेय की ओर से लिखी गई चिट्ठी न केवल उनके लिए सिरदर्द बन गई थी बल्कि उस चिट्ठी विवाद ने पूरे देश और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दिया था। अब एक बार फिर कुछ उसी तरह के चिट्ठी विवाद में एक भाजपा सांसद फंसते जा रहे हैं। इस विवाद का भविष्य क्या होगा, यह तो आने वाले समय में पता चलेगा, लेकिन फिलहाल इसने दिल्ली में एक नया विवाद अवश्य खड़ा किया है। इसमें दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार, दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और केंद्र सरकार तक लपेटे में आती लग रही है। एनडीएमसी के वकील एमएम खान की हत्या के मामले को लेकर विवाद इतना बढ़ गया है कि एक तरफ आप के नेता उपराज्यपाल नजीब जंग की बर्खास्तगी तक की मांग करने लगे हैं तो दूसरी तरफ केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू भी इसमें कूद पड़े हैं। दिल्ली पुलिस की भूमिका को लेकर भी एक बार फिर नए सिरे से सवाल उठाए जाने लगे हैं। दिल्ली पुलिस वैसे भी हमेशा से दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच के टकराव का कारण रही है। अब इस ताजा मामले को लेकर जैसे नए सिरे से आम आदमी पार्टी को फिर मौका मिल गया है केंद्र को घेरने का। आम आदमी पार्टी और उसकी सरकार की शुरू से ही यह मांग रही है कि दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार के अधीन किया जाए। उसका तर्क है कि ऐसा न होने की वजह से दिल्ली में कानून व्यवस्था पर काबू पाने में असुविधा होती है और इसका फायदा अपराधी तत्व उठाते रहते हैं। यह ताजा मामला भी एक बड़ा आपराधिक मामला है जिसमें सत्ता बल और धनबल का गठजोड़ उजागर हो रहा है। जाहिरा तौर पर ऐसे में इस हत्याकांड को लेकर पुलिस पर अपराधियों और आरोपियों को बचाने और राजनीतिज्ञों पर आरोपियों को संरक्षण देने के आरोप लगाए जा रहे हैं। हालांकि पुलिस और नेतागण इन आरोपों को सिरे से खारिज कर रहे हैं। इस सबके बावजूद सवाल तो बचे ही रह जा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि इस राजनीतिक विवाद के चलते कहीं हत्या का मामला पीछे ही न छूट जाए।
इस पूरे विवाद की शुरुआत होती है एनडीएमसी अधिवक्ता एमएम खान की हत्या से। दिल्ली के जामिया नगर इलाका स्थित जौहरी इलाके में 16 मई को खान की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। दिल्ली पुलिस के मुताबिक खान की हत्या के पीछे कारण कनाट प्लेस स्थित एक होटल से एनडीएमसी को होने वाली 140 करोड़ रुपये की रिकवरी थी। इस रिकवरी की फाइल खान के पास ही थी। जिस दिन खान की हत्या की गई उसके दो दिन बाद ही रिकवरी मामले में खान को फैसला देना था। इस तरह की आशंका थी कि खान रिकवरी को लेकर फैसला दे सकते हैं। माना जा रहा था कि इस आशंका के चलते ही उनकी हत्या करवा दी गई। इसी आशंका के आधार पर इस आशय के आरोप भी लगाए गए कि होटल मालिकों की ओर से उनकी हत्या करवाई गई। इस हत्या मामले में पुलिस ने एक शूटर सहित छह लोगों को गिरफ्तार भी किया है।
delhi ka paraअभी यह सब चल ही रहा था कि इस मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो गई। इसकी मुख्य रूप से शुरुआत तब हुई जब भाजपा सांसद महेश गिरी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के समक्ष अनशन पर बैठ गए। दरअसल, मुख्यमंत्री केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि गिरी और पूर्व विधायक करन सिंह तंवर आरोपियों को बचाने में लगे हैं। पुलिस पर भी आरोपियों को क्लीनचिट देने के आरोप लगाए गए। हालांकि बाद में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने खुद जाकर गिरी का अनशन तुड़वाया। आम आदमी पार्टी ने इसे भी मुद्दा बनाते हुए आरोप लगाया कि आखिर ऐसा क्या हो रहा था कि देश के गृह मंत्री को अनशन तुड़वाने के लिए आना पड़े। आप दरअसल इस सवाल के बहाने अपने आरोपों को पुख्ता करने की कोशिश में लगी हुई थी। इसके विपरीत गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू का कहना है कि पूरा मामला दिल्ली सरकार देख रही है। ऐसे में उपराज्यपाल अथवा किसी अन्य पर आरोप लगाना मामले को हल्का करने जैसा है। उनका यह भी कहना है कि मामले को राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए और किसी भी सम्मानित व्यक्ति के खिलाफ गलत भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, विशेषकर उन लोगों की ओर से जो संवैधानिक पदों पर बैठे हों। साफ तौर पर उनका इशारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर रहा होगा। केजरीवाल और उनकी पार्टी की ओर से आरोप लगाया जा रहा है कि भाजपा सांसद महेश गिरी ने आरोपियों को बचाने के लिए उपराज्यपाल नजीब जंग को चिट्ठी लिखी। यद्यपि गिरी इससे साफ तौर पर इनकार करते हैं और चिट्टी को सार्वजनिक करने की मांग करते हैं। उनका यह भी कहना है कि उन्होंने कोई चिट्ठी लिखी ही नहीं है। उपराज्यपाल नजीब जंग का कहना है कि उन्हें चिट्ठी लिखी गई है। इस बीच, आम आदमी पार्टी की ओर से आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में दिल्ली इकाई के संयोजक दिलीप पांडे ने इस पूरे मामले में उपराज्यपाल की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए सवाल उठाया कि आखिर उन्होंने खान के खिलाफ कार्रवाई को लेकर एनडीएमसी को क्यों लिखा? उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और बर्खास्त किया जाना चाहिए। पांडे ने यह भी कहा कि पुलिस को इस हत्या मामले में उपराज्यपाल को रिपोर्ट करना बंद कर गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करना चाहिए।
इस तरह के गंभीर आरोपों पर राजनिवास की ओर से सफाई दी गई है। कहा गया कि आम आदमी पार्टी इस मामले पर राजनीति कर रही है। इसमें कहा गया है कि भाजपा सांसद महेश गिरी की ओर से लिखा गया प्रामिनेंट होटल्स लिमिटेड की चिट्ठी 10 मई को मिली थी। इसमें लाइसेंसधारी और लाइसेंसर के बीच के विवाद को लेकर लाइसेंस डीड की धारा 54 के आधार पर उपराज्यपाल द्वारा मध्यस्थता करने की बात कही गई है। इसके बाद 11 मई को यह चिट्ठी एनडीएमसी अध्यक्ष को उचित कार्रवाई के लिए अग्रसारित कर दी गई थी। 12 मई को उसी लाइसेंसधारी ने एक मध्यस्थता याचिका भी उपराज्यपाल सचिवालय में दी थी। यह याचिका भी कानूनी पड़ताल के लिए भेज दी गई थी। इसके बाद एनडीएमसी के संयुक्त निदेशक की ओर से जारी चिट्ठी के जरिये यह बताया गया कि लाइसेंस डीड रद्द कर दी गई है और इस फैसले को उच्चतम न्यायालय ने भी बरकरार रखा है। इसके बाद मध्यस्थता वाली धारा का विषय ही खत्म हो जाता है। बाद में उपराज्यपाल सचिवालय की ओर से एनडीएमसी अध्यक्ष को चिट्ठी जारी कर निर्देश दिया गया था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक इस मामले में प्रभावी एवं शीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। इस सबके बावजूद इस मामले पर विवाद खत्म होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है और पूरा विवाद राजनीतिक रंग ले चुका है। आम आदमी पार्टी को शायद यह लग रहा होगा कि इस बहाने वह न केवल भाजपा को घेरने में सफल हो सकेगी बल्कि केंद्र से अपने टकराव की धार को भी तेज कर सकेगी। इसके अलावा दिल्ली की जनता के बीच भी यह बात बैठाने में सफल हो सकेगी कि केंद्र सरकार दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दे रही है। दिल्ली में कानून व्यवस्था की समस्या को तभी काबू में लाया जा सकेगा जब पुलिस दिल्ली सरकार के अधीन हो और केंद्र सरकार का दखल बंद हो जाए। उल्लेखनीय है कि आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से लगातार इस आशय के आरोप लगाए जाते रहे हैं कि केंद्र सरकार उन्हें काम नहीं करने दे रही है। इसी दौरान उसे एक मौका और मिल गया। दिल्ली सरकार की ओर से केंद्र को मंजूरी के लिए भेजे गए 12 विधेयक वापस कर दिए गए। इसके पीछे वजह प्रक्रिया का पालन न करना बताया गया है। इन विधेयकों में केजरीवाल सरकार का अतिमहत्वाकांक्षी जनलोकपाल विधेयक भी शामिल है। केंद्र ने उपराज्यपाल से भी इन विधेयकों के बारे में उनकी राय मांगी है। विधेयक लौटाए जाने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि केंद्र सरकार बेवजह अड़ंगा लगा रही है। केजरीवाल ने सवाल किया कि क्या केंद्र को दिल्ली के हर कानून को रोकने का अधिकार होना चाहिए। क्या केंद्र दिल्ली का हेडमास्टर है। बात यहीं तक जाकर नहीं रुकी।
खान हत्याकांड के मुद्दे पर संवाददाता सम्मेलन में अपनी बात रख रहे संगम विहार से आप विधायक दिनेश मोहनिया को छेड़खानी और थप्पड़ मारने के आरोप में दिल्ली पुलिस उठा ले गई। इसके विरोध में प्रधानमंत्री आवास की ओर जा रहे आप के विधायकों को गिरफ्तार कर लिया गया। इनमें उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी शामिल थे। आप के नेताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस अपराधियों का बचाव करने वाले भाजपा सांसद के खिलाफ कार्रवाई से बचने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रही है ताकि लोगों का ध्यान खान हत्याकांड से भटक सके। आप का यह भी आरोप है कि केंद्र सरकार उसकी सरकार को काम नहीं करने दे रही है। बहरहाल, एक बार फिर आप और उसकी सरकार का केंद्र के साथ तकरार बढ़ गया है। ल्ल

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