राष्ट्रीय

भाजपा सांसद के पिता समेत पांच पर मुकदमा दर्ज

दस्तक टाइम्स/एजेंसी
2015_9image_16_36_070771850hh-llमहोबा: उत्तर प्रदेश के महोबा हमीरपुर से भाजपा सांसद पुष्पेन्द्र सिंह चन्देल के पिता समेत पांच लोगों के खिलाफ पुलिस ने धोखाधडी, बलबा और अन्य संगीन मामलों में मुकदमा पंजीकृत किया है। अपर पुलिस अधीक्षक डा0 रामयश ने बताया कि महोबा सदर कोतवाली के भटीपुरा निवासी लक्ष्मी प्रसाद प्रजापति की तहरीर पर दर्ज किये गये मुकदमे में सांसद के पिता हरपाल सिंह चन्देल पर उसके पिता टिर्रा की एक हैक्टेयर बेशकीमती जमीन धोखे से हड़प लेने का आरोप है। इस मामले में वह 14 सितंबर से तहसील परिसर में अपने परिवार सहित अनशन पर बैठा था तभी 20 सितंबर की रात हरपाल सिंह, गोविन्द यादव, राजेश सिंह और दो अज्ञात ने मौके पर आकर न सिर्फ बुरी तरह मारपीट की बल्कि महिलाओं को निर्वस्त्र कर पटका। आरोपियों द्वारा उन्हें जान से मार देने की धमकी भी दी गई। एएसपी ने बताया कि मामले में सांसद के पिता हरपाल सिंह समेत पांचो लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 419, 420, 354बी, 323, 506 के तहत मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू की है। एक सप्ताह से तहसील में अनशन कर रहे किसान टिर्रा के परिवार को कल रात एक प्रशासनिक अधिकारी के साथ पहुंची पुलिस टीम ने डंडे के बल खदेड कर भगा दिया था। देर रात किसान के बेटे की तहरीर पर दर्ज किये गये मुकदमे को लेकर यहां सवाल खड़े किये जा रहे हैं। तहसील परिसर में पुलिसबल के साथ पहुंचे नायब तहसीलदार कर्मवीर सिंह द्वारा यह कार्रवाई अमल में लाई गई। सिंह ने बताया कि मामला किसान द्वारा अदालत में ले जाने के कारण अनशन का कोई औचित्य नही था। अनशनकारी टिर्रा व उसके परिवारीजनों को इस बात पर लगातार समझाया जा रहा था, लेकिन वह जिद पर अड़ा कानून व्यवस्था के लिये परेशानियां उत्पन्न कर रहा था। उन्होंने किसान के साथ कोई बलपूर्ण कार्रवाई न किये जाने की बात कही। उधर, आन्दोलनकारी किसान टिर्रा ने कहा कि धोखे से उसकी एक हैक्टेयर बेशकीमती जमीन हड़प लेने वाले सांसद के पिता हरपाल सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की बजाय पुलिस ने उसे डंडे के बल पर अनशन स्थल से उठाकर घर पहुंचा दिया। सांसद के दबाव में प्रशासन उसकी बात भी सुनने को तैयार नही है। उसका कहना है कि आन्दोलन का रास्ता छोड़ उसे चुप होकर घर बैठने की चेतावनी दी गई है। किसान टिर्रा ने कहा कि प्रकरण भले ही अदालत में विचाराधीन है लेकिन भूमि पर उसके स्वामित्व को बनाये रखने में सहयोग करने की जिम्मेदारी प्रशासन की है। अपनी जमीन प्राप्त करने के लिये उसका परिवार हर स्तर पर संघर्ष करेगा।
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