भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने ‘वादों’ पर अमल की बड़ी चुनौती: राजन
मेलबर्न: भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष वादों और योजनाओं का क्रियान्वयन प्रमुख चुनौती है। भारत यदि किये गये वादों को पूरा करता है तो यह कारोबार करने के लिहाज से दुनिया का बेहतर स्थल होगा। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने यह बात कही है। यह पूछने पर कि तीन बातें बतायें जिनमें बदलाव से भारतीय अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय परिवर्तन आ सकता है, राजन ने कहा, ‘क्रियान्वयन, क्रियान्वयन और क्रियान्वयन’।
राजन ने आर्थिक नीति के विकास में आस्ट्रेलिया के उत्पादकता आयोग की भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘स्पष्ट रूप से यहां सीखने के लिए काफी कुछ है कि आपने उस तरह के संस्थान के बौद्धिक और आर्थिक सूचनाओं का कैसे उपयोग किया।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसे कई बिंदु हैं जिनके संबंध में दो विशाल अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे से काफी कुछ सीख सकती हैं।’ आस्ट्रेलियाई कंपनियों एएनजैड और टेलेस्ट्रा के बारे में जब पूछा गया तो राजन ने कहा, ‘मुझे नहीं मालूम कि किसी की गलती रही — मजबूत वृद्धि का समय भी रहा है और ऐसा भी समय रहा है जब लोग असफल हुये हैं और उन्होंने कहा कि यहां कारोबार करना असंभव है।’ आस्ट्रेलिया की इन दोनों कंपनियों ने हाल के दशक में भारत में अच्छा निवेश किया, लेकिन वह उंची लागत चुकाने के बाद भारत से निकल गई।
राजन ने कहा, भारत को अपनी ढांचागत सुविधाओं, मानव संसाधन पूंजी, नियमन और वित्तपोषण सुविधाओं में सुधार लाने की आवश्यकता है। राजन से जब यह पूछा गया कि भविष्य में क्या वह आईएमएफ में किसी नेतृत्व की भूमिका पर विचार कर रहे हैं। राजन ने जवाब में कहा, ‘मैंने उसके बारे में सोचा तक नहीं है। फिलहाल इस समय यहां (भारत में) जो समस्यायें हैं और उनसे निपटने के लिये जो कुछ करना है वह काफी रुचिकर है।’