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भारतीय जनता पार्टी का पुराने चेहरों पर भरोसा, नहीं कटे टिकट

राजस्थान विधानसभा चुनाव में सोमवार से तेजी आ सकती है क्योंकि बीजेपी ने 131 उम्मीदवार उतार दिए हैं तो कांग्रेस आज अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान करेगी। बीजेपी ने एक बार फिर पुरानी राह पकड़ी और ज्यादातर पुराने विधायकों के टिकट नहीं काटे। 

जयपुर: राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी पहली सूची जारी कर दी है, और इस सूची के अनुसार सत्ता में बने रहने की कोशिशों में जुटी पार्टी ने अपने पुराने नेताओं पर ही भरोसा जताया और कई जगह नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दिया है। राजस्थान में सोमवार सुबह 11 बजे से नामांकन भरने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इससे करीब 12 घंटे पहले बीजेपी ने राजस्थान के रण में अपने 131 उम्मीदवारों उतार दिया है। राज्य विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं। इनमें 142 सीट सामान्य, 33 सीट अनुसूचित जाति और 25 सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उसने 163 सीटों पर जीत दर्ज की थी। राजस्थान चुनाव में नामांकन की आखिरी तारीख 19 नवंबर है। इसके बाद नामांकन वापस लेने की तारीख 22 नवंबर है।

राज्य में 7 दिसंबर को मतदान किया जाएगा, इसके बाद 11 दिसंबर को मतगणना होगी। हालांकि, पार्टी ने इसमें पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया है और जैसा कि कहा जा रहा था कि बड़ी संख्या में बीजेपी एंटी इनकंबेंसी को खत्म करने के लिए टिकट काट सकती है, वैसा इस सूची में दिख नहीं रहा। महज दो मंत्रियों सहित 23 विधायकों की टिकट कटे हैं। जिन विधायकों के टिकट कटे हैं उनमें से ज्यादातर विधायकों के रिश्तेदारों और बेटों को टिकट देकर खुश कर दिया गया है। वंशवाद के नाम पर कांग्रेस को घेरने वाली बीजेपी ने राजस्थान के रण में एक बार फिर से नेताओं के बेटे और रिश्तेदारों पर भरोसा जताया है। बीजेपी ने रविवार रात 131 उम्मीदवारों की सूची जारी की जिसमें करीब 20 नेताओं के बेटे और रिश्तेदारों को जगह दी गई है।

सार्दुल शहर से बीजेपी के विधायक गुर्जंट सिंह के पोते गुरबीर सिंह पहाड़ को टिकट दिया गया है। डीग-कुम्हेर से दिगंबर सिंह के बेटे शैलेश सिंह को, नसीराबाद से सांवरलाल जाट के बेटे रामस्वरूप लांबा को, रवायत से देवी सिंह भाटी की पुत्रवधू पूनम कंवर को, सपोटरा से किरोड़ी लाल मीणा की पत्नी गोलमा को, शाहपुरा से सुंदर लाल के बेटे कैलाश चंद्र मेघनाथ को टिकट मिला है। वहीं, प्रतापगढ़ से नंदलाल मीणा के बेटे हेमंत मीणा, मुमडावर से धर्मपाल चौधरी के बेटे मनजीत चौधरी, बामनवास से कुंजी लाल मीणा के बेटा राजेंद्र मीणा, सादुलपुर से कमला कस्वा की जगह उनके पति राम सिंह कस्वा को बीजेपी ने मैदान में उतारा है। इनमें से ज्यादातर वो बीजेपी नेता हैं जो या तो बुजुर्ग हो चुके हैं या फिर से चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी थे मगर उनकी मौत हो चुकी है।

राजस्थान में बीजेपी हमेशा से 4-5 मुस्लिम चेहरों को चुनावी मैदान में उतारती रही है, लेकिन इस बार 131 उम्मीदवारों की सूची में एक भी मुस्लिम नाम नहीं है। नागौर से तीन बार से विधानसभा चुनाव जीत रहे हबीबुर्र रहमान का टिकट काट दिया गया है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सबसे करीबी डीडवाना से पीडब्ल्यूडी मंत्री यूनुस खान का नाम इस लिस्ट में नहीं है। जबकि बाकी के पिछले चुनाव हारे मुस्लिम प्रत्याशियों को भी इस बार जगह नहीं दी गई है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी हिंदुत्व का कार्ड खेलेगी। बीजेपी ने इस बार टिकट के लिए जो उम्र के सीमा रखी थी उसमें भी अपवाद रखा गया है। विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल को 84 साल की उम्र में टिकट दिया गया है तो कांग्रेस से बीजेपी में आकर जसवंत सिंह को हराने वाले बाड़मेर के बुजुर्ग सांसद कर्नल सोनाराम को बाड़मेर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है।

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