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भारत का तोहफा, पीएम मोदी ने अफगानिस्तान में किया नई संसद का उद्घाटन
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10 खास बातें
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ही दो दिवसीय रूस यात्रा संपन्न करने के बाद अब अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पहुंचे। उनका यहां राजकीय स्वागत किया गया, जिसके बाद गनी ने राष्ट्रपति भवन में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों नेता एक-दूसरे से गले मिलते दिखाई दिए। आज वह अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ अफगान सदन के ज्वाइंट सेशन को संबोधित करेंगे।
- युद्ध से जूझ रहे अफगानिस्तान में भारत ने मित्रता की मिसाल के तौर पर बनने वाली इस संसद का काम 2007 में शुरू हुआ। इस इमारत को भारत की ओर से अफगानिस्तान को लोकतंत्र की प्रतीकात्मक भेंट करार दिया जा रहा है।
- इसे नवंबर 2011 में ही बनकर तैयार होना था, लेकिन इसकी तिथि दो बार बढ़ानी पड़ी। इसका डिजाइन मुगल और आधुनिक स्थापत्य कला पर आधारित है।
- गनी से मुलाकात को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘मित्रों की एक बैठक- बैठक की शुरूआत से पहले राष्ट्रपति अशरफ गनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया, ‘‘ एक मित्र का आलिंगन, एक सच्चे साझीदार की ताकत।
- उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी आज अफगानिस्तान के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर डॉ अब्दुल्ला अब्दुल्ला और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई से भी मिलेंगे।
- पीएम की यह यात्रा अफगानिस्तान को तीन रूसी हेलीकॉप्टर एमआई 25 गनशिप पहुंचाने के दो दिन बाद हो रही है। ये हेलीकॉप्टर मशीन गन, रॉकेट और ग्रेनेड लॉन्चरों से लैस हैं।
- भारत ने अब तक अफ़ग़ानिस्तान में सड़कें, इमारतें बनाने और वहां के सैन्य बलों को ट्रेनिंग तक ही ख़ुद को सीमित रखा है। अमेरिका की तरफ से कई बार कहा गया कि भारत, अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान से लड़ने में सैन्य सहयोग दे, लेकिन भारत दूर ही रहा है।
- मोदी की इस यात्रा को लेकर अफगानिस्तान में भी खासी उत्सुकता है। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की यह पहली काबुल यात्रा है और मोदी से पहले 2011 में मनमोहन सिंह ने काबुल का दौरा किया था।
- भारत ने अफगानिस्तान को मदद और पुनर्निर्माण के लिए 2 अरब डॉलर निवेश कर रखा है, इसके अलावा वहां के अफसरों को भारत लगातार ट्रेनिंग देता रहता है।
- पीएम मोदी आज होने वाली अफगान नेताओं के साथ वार्ता में सुरक्षा सहयोग समेत अहम द्विपक्षीय मामलों पर ध्यान केंद्रित करेंगे और युद्धग्रस्त देश की मदद के तरीकों पर चर्चा करेंगे।