नई दिल्ली: इसरो ने देसी जीपीएस सिस्टम की तरफ एक बड़ा कदम बढ़ा लिया है। पीएसएलवी के जरिये हुआ लॉन्च कामयाब रहा है। IRNSS-1E नाम की यह सैटेलाइट भारत के नेविगेशन सिस्टम को खड़ा करने में अहम मानी जा रही है।
इसके दस साल तक काम करने की उम्मीद
पीएसएलवी यानी पोलर सैटेलाइट लॉन्च वीइकल का यह 33वां राउंड का लॉन्च है। 44.4 मीटर की ऊंचाई और 1425 किलोग्राम के इस उपग्रह पर 1400 करोड़ का ख़र्च आया है और इसके दस साल तक काम करने की उम्मीद है।
भारत छठा देश होगा, जिसके पास ऐसा सिस्टम है
यह पांचवां नेविगेशन सैटेलाइट है जिसे सात उपग्रह समूहों का हिस्सा होना है। फिलहाल अपने चार उपग्रहों के साथ इसरो सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम के भारतीय वर्ज़न के लिए 18 घंटे का सिग्नल मुहैया करा रहा है- इसे देसी जीपीएस भी कहा जाता है।
यह अमेरिकी जीपीएस सिस्टम की तरह ही काम करता है, लेकिन इसका दायरा क्षेत्रीय है। वैसे, भारत छठा देश होगा, जिसके पास ऐसा सिस्टम है। इस सिस्टम की भारतीय सेनाओं को काफी जरूरत है, लेकिन आम लोगों को भी फायदा होगा।
पूरे इलाके को कवर करता है…
सात उपग्रहों की सीरीज का यह पांचवा उपग्रह है। ये उपग्रह लगातार डाटा भेजते हैं जिन्हें किसी स्मार्टफोन या दूसरे उपकरण से पढ़ा जा सकता है। इसरो 20 मीटर से कम तक की ऐक्युरेसी सुनिश्चित करता है। भारतीय सैटेलाइट सिस्टम सरहद के चारों तरफ़ 1500 किलोमीटर के दायरे को कवर करता है। भारत को जहां से ख़तरे का अंदेशा है, उस पूरे इलाक़े को कवर करता है।