जयपुर: दोस्तों हमारे देश की एक ऐसी जगह भी है। जहां पर पहुंचने के लिए हमारे सैनिकों को करीब बीस दिन का समय लगता है। अगर यहा के तापमान की बात करे तो कहते है कि यहां का तापमान करीब पचास डिग्री सेल्सियस तक होता है। यहां पर चौकियों पर जाने वाले सैनिक एक के पीछे एक लाइन में चलते हैं। इतना ही नहीं यहां पर सभी सैनिकों की कमर मे एक रस्सी बंधी हुई रहती है।
इस रस्सी का मतलब यह होता है कि अगर कोई सैनिक बर्फ मे धंस जाता है तो इस रस्सी के सहारे सैनिक की जान बचाई जाती है। दोस्तों हम दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र सियाचिन की बात कर रहे हैं। जहां पर गहरी खाइयों के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं देता है। यहां पर किसी तरह से पेड़े पौधे या फिर पक्षी भी नजर नहीं आते हैं। साथ ही ऑक्सीजन की भी इतनी कमीं होती है कि यहां पर सोते सोते ही जवानों की मौत हो जाती है।
बता दें कि यहां पर केवल तीन महिनों के लिए तैनाती की जाती है। इस दौरान सैनिक बहुत ही सीमित दायरे में घूम फिर सकते हैं। बता दें कि संघर्ष विराम के समय में यहां पर सैनिकों को केवल समय पास करना होता है। यहां पर रहने वाले वाले जवान जीवन रेखा का काम करते है।
दोस्तों यहां पर एक हैलिकॉप्टर उतरता है। जिसे चिता हैलिकॉप्टर कहा जाता है। सबसे ऊंचाई तक जाने और सबसे ऊंचाई पर बने हेलिपैड पर लैंड करने वाले हेलिकॉप्टर का रिकॉर्ड इसी के नाम है। बता दें कि यहां पर हैलिकॉप्टर से जाने में भी सावधानी रखनी पड़ती थी।
बता दें कि यह स्पेशल हैलिकॉटर महज तीस सैंकड के लिए रूक सकता है। जो किसी भी रडार से बचने मे कामयाब रहता है. कहा जाता है कि जब तक विरोधी निशाना साधता है तब तक यह वापस उड़ान भर लेता है। आप जानकर चौंक जाएंगे की यहा पर आज भी यही तरकीब अपनाई जाती है.