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भारत की सड़कों पर जल्द ही दौड़ती नजर आएंगी ड्राइवरलेस कारें

audi-driverless-car_10_10_2016नई दिल्ली। इस साल गर्मियों में ऑडी के इंडिया हेट जो किंग जर्मनी में ड्राइवरलेस टेक्नोलॉजी की कार को चला रहे थे, जो पूरी तरह स्वचालित नहीं थी। जब एक कार अचानक उनके सामने लाई गई, तो उनकी ऑडी ने स्वचालित रूप से ब्रेक लगाया।

एक अन्य मौके पर जो किंग की कार ने 270 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर बेहतरीन रूप से टर्न लिया। जो किंग ने कहा कि भारत की सड़कें जर्मनी की तरह की नहीं हैं, जहां 270 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर कार को मोड़ा जा सके। मगर, इसका मतलब यह नहीं है कि इस देश ऐसी कारों के लिए कोई जगह नहीं है, जो खुद से मोड़ पर मुड़ सकें।

वास्तव में, वह दिन दूर नहीं जब भारत में ड्राइवरलेस कारें चलेंगी। जो किंग को उम्मीद है कि अगले चार वर्षों में भारत में सेल्फ ड्राइविंग ऑडी की कारें उपलब्ध होंगी। मगर, यह दौड़ ऑडी जैसी लक्जरी कार निर्माता कंपनियों तक ही सीमित नहीं है।

गूगल जैसी प्रौद्योगिकी कंपनियां, भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी और यूटिलिटी वाहन निर्माता कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा भी इस दौड़ में शामिल हैं। वास्तव में, मारुति सुजुकी ने जापान और यूरोप को निर्यात की जाने वाली बलीनो के संस्करण में ड्राइवरलेस प्रौद्योगिकी के कुछ पहलुओं को पेश किया है। इस प्रीमियम हैचबैक में सुरक्षित सफर के लिए ड्राइवर की सहायता वाले फीचर्स हैं।

मारुति के कार्यकारी निदेशक (इंजीनियरिंग) रमन सीवी ने कहा कि कार में टक्कर को कम करने वाला सिस्टम लगा है। यह तेजी से और स्वचालित रूप से कार को धीमा करके सामने वाहन से दूरी बनाए रखता है। जब कार के आगे यह कुछ सेंस करता है, तो टक्कर के प्रभाव को कम करने के लिए यह ऑटोमेटिक आपातकालीन ब्रेक लगाना लगाता है।

ड्राइवरलेस कार सामान्य कारों का संशोधित संस्करण हैं, जिनमें रडार, लेजर, इंफ्रारेड सेंसर और कैमरे लगे होते हैं, जो कार को सेंस करने, देखने और आस-पास कोई वस्तु होने पर रिएक्ट करती है। स्व-चालित कारों की वकालत करने वालों का कहना है कि इसके जरिए हर साल सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली 12.4 लाख लोगों की मृत्यु को कम किया जा सकता है।

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