भारत की NSG सदस्यता की संभावनाओं पर बात करने को तैयार चीन
बीजिंग। अब तक भारत की न्यूक्लीयर सप्लायर्स ग्रुप(एनएसजी) में सदस्यता का विरोध करते आ रहे चीन ने अचानक अपने सुर बदले हैं। चीन ने कहा है कि वो ब्रिक्स समिट से पहले एनएसजी में भारत की सदस्यता की संभावनाओं पर बात करना चाहता है। यह बात एक वरिष्ठ चीनी डिप्लोमेट ने सोमवार को कही। पिछले महीने ही भारत ने कहा था कि उसने एनएसजी की सदस्यता को लेकर चीन के साथ बात की है।
इस हफ्ते ब्रिक्स ग्रुप ऑफ इमर्जिंग नेशंस की समिट में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे से पहले उप-विदेश मंत्री ली बाओडॉन्ग ने एक बयान देते हुए कहा कि नए सदस्य के लिए सभी देशों का तैयार होना जरूरी है। यह नियम चीन द्वारा नहीं बनाए गए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि एनएसजी सदस्यता को लेकर भारत और चीन के बीच काफी अच्छी बातचीत रही है और चीन की इच्छा है कि सदस्यता पर सहमति बनाने के लिए भारत के साथ इस पर और बातचीत की जाए। चीन चाहता है कि इस पर भारत के साथ मिलकर एकसाथ सभी प्रकार की संभावनाओं को एक्सप्लोर किया जाए। लेकिन यह एनएसजी के चार्टर से समझौता करता हो और सभी पक्षों द्वारा इसके कुछ नियमों का सम्मान किए जाने की जरूरत है।
बता दें कि पीएम मोदी की एनएसजी सदस्यता प्राप्त करने की लगातार कोशिशें कर रहे हैं ताकि भारत रूस, अमेरिका और फ्रांस के साथ मिलकर देश में परमाणु उर्जा संयत्र स्थापित कर सके और देश की प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन पर निर्भरता कम हो।
परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) यूएन की सुरक्षा परिषद के पांच सदस्य देशों यूएसए, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस को परमाणु शक्ति के रूप में मान्यता देता है लेकिन दूसरों को नहीं। भारत ने इस संधि पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया है लेकिन उसका दावा है कि हमारा परमाणु अप्रसार का ट्रैक रिकॉर्ड हमें एनएसजी का सदस्य बनने के लिए सक्षम बनाता है।
भारत को 2008 में एनएसजी से छूट मिली थी जो इसे परमाणु व्यापार की अनुमति देती है लेकिन भारत ऑर्गेनाइजेशन के निर्णायक मौकों पर वीटो का प्रयोग नहीं कर सकते। अमेरिका की ही तरह भारत की एनएसजी सदस्यता का समर्थन कर रहे अन्य देशों का मानना है कि सियोल बैठक में असफल होने के बाद भी यह डील संभव है।