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भारत क्यों नहीं दे रहा कनाडाई PM की यात्रा को तवज्जो, जानिए

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सात दिवसीय दौरे पर भारत में हैं, लेकिन उनकी इस यात्रा को ज्यादा तरजीह नहीं दी जा रही. कनाडाई प्रधानमंत्री को भारत आए 2 दिन हो चुके हैं हालांकि उनकी भारत यात्रा को वो तवज्जो नहीं मिल रही जो अन्य देशों के शीर्ष मेहमानों को यहां मिलती रही है.भारत क्यों नहीं दे रहा कनाडाई PM की यात्रा को तवज्जो, जानें- 10 बातें

जस्टिन ट्रूडो की भारत यात्रा को लेकर 10 बड़ी बातें जिन्होंने इस यात्रा को चर्चा में ला दिया.

-कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो शनिवार की रात भारत पहुंचे तो उनका स्वागत कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने किया जो मोदी सरकार में जूनियर स्तर के मंत्री हैं, जबकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज या फिर उनके विभाग के 2 अन्य सहायक मंत्री जनरल वीके सिंह और एमजे अकबर में से किसी ने भी उनकी अगवानी नहीं की.

-रविवार को जस्टिन ट्रूडो ताजमहल देखने आगरा गए, लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी वहां उनकी मेजबानी के लिए उपस्थित नहीं थे.

-कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो सोमवार को भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के गृहनगर गुजरात में थे. लेकिन इस यात्रा के दौरान वह अकेले ही अहमदाबाद में घूमे और मोदी उनके साथ नहीं दिखे. इससे पहले अमेरिका, इजराइल, चीन और जापान के शीर्ष नेताओं के साथ मोदी गुजरात की यात्रा कर चुके हैं.

-न सिर्फ नरेंद्र मोदी ही उनके मंत्रिमंडल के कई वरिष्ठ मंत्री भी उनसे दूरी बनाए हुए हैं. पिछले 2 दिन से वह किसी शीर्ष भारतीय नेता के साथ नजर नहीं आए.

-अपनी यात्रा के छठे दिन ट्रूडो की भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात होगी. दोनों 23 फरवरी को मिल रहे हैं.

-भारतीय सरकार की ओर से कनाडा के शीर्ष नेता को खास तवज्जो नहीं दिए जाने के पीछे अहम कारण है कि कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार भारत में सिखों के स्वतंत्रता आंदोलन (खालिस्तान आंदोलन) को अपना समर्थन देती है और उसके कई मंत्री सिखों की आजादी के आंदोलन के करीबी रहे हैं.

-साथ ही एक कारण यह भी है कि 2016 में जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा की यात्रा की थी तो उस दौरान इसी कनाडाई समकक्ष ने आकर उनका एयरपोर्ट पर स्वागत नहीं किया था.

-हर विदेशी मेहमान के भारत आने के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ट्विट के जरिए भी स्वागत करते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया और उनकी यात्रा को लेकर कोई स्वागत ट्विट नहीं किया.

-दोनों देशों के बीच रिश्तों में थोड़ी-बहुत खटास उस समय भी दिखी जब पिछले साल पंजाब के मुख्यमंत्री ने यह कहते हुए कनाडा के रक्षा मंत्री हरिजीत सज्जन से नहीं मिले कि “खालिस्तानियों से सहानुभूति” रखते हैं.

-हालांकि साल 2015 में कनाडा ने घोषणा कर सभी को चौंका दिया कि वह भारत को यूरोनियम की आपूर्ति करेगा. तब इस घोषणा को दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की दिशा में अहम कदम माना गया था.

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