भारत-चीन संबंधों को लेकर बड़ी खबर, सीमा विवाद के शीघ्र समाधान के लिए दोनों देश करेंगे काम

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच रिश्तों में एक बड़ा और सकारात्मक मोड़ आया है। दोनों देशों ने यह तय किया है कि वे सीमा विवाद को जल्द सुलझाने के लिए सीधे बातचीत और विशेषज्ञ समूह (एक्सपर्ट ग्रुप) के जरिए हल तलाशेंगे। यह कदम दोनों देशों के बीच सीमा रेखा निर्धारण (Boundary Delimitation) पर बनी वर्षों पुरानी खाई को पाटने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
पीएम मोदी और वांग यी के बीच अहम बैठक
यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की चीनी विदेश मंत्री वांग यी से हुई बैठक के बाद लिया गया। इस मुलाकात के बाद विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर इस बात की जानकारी दी।
क्या-क्या फैसले हुए?
सीमा विवाद पर विशेषज्ञ समूह बनेगा, जो जल्द समाधान खोजेगा।
भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानें (Direct Flights) फिर से शुरू होंगी।
भारतीय श्रद्धालुओं की कैलाश मानसरोवर यात्रा की संख्या बढ़ाई जाएगी।
2020 के गलवान विवाद के बाद संबंधों में आई थी दरार
भारत और चीन के रिश्तों में 2020 के गलवान संघर्ष के बाद जबरदस्त गिरावट आई थी। उसके बाद लद्दाख सीमा पर लंबा सैन्य टकराव भी चला। हालांकि पिछले कुछ महीनों से दोनों देशों के बीच संबंधों में धीरे-धीरे बहाली की प्रक्रिया शुरू हुई है।
अमेरिका की टैरिफ नीति से बदली रणनीति?
यह ताज़ा घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% आयात शुल्क (टैरिफ) लगा दिया है, साथ ही रूस से तेल खरीदने पर भी अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है।
इससे पहले अमेरिका और चीन भी आपस में टैरिफ युद्ध में उलझ चुके हैं। अब चीन और भारत, दोनों अमेरिका के आर्थिक दबाव से जूझ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इसी वजह से भारत और चीन कूटनीतिक समीकरणों को फिर से संतुलित करने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या है सीमा विवाद?
भारत और चीन के बीच करीब 3,500 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिसका कुछ हिस्सा विवादित है। इसमें लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के कुछ हिस्से शामिल हैं। सीमा रेखा को लेकर दोनों देशों की विभिन्न व्याख्याएं हैं और कोई तय अंतरराष्ट्रीय रेखा नहीं है।